Balram Jayanti: महाभारत युद्ध में बलराम ने क्यों नहीं दिया श्रीकृष्ण का साथ और चले गये तीर्थयात्रा पर!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 21, 2019 01:11 PM2019-08-21T13:11:28+5:302019-08-21T13:11:28+5:30
महाभारत की कथा के अनुसार जिस समय युद्ध की तैयारी चल रही थी तभी एक दिन बलराम पांडवों के शिविर में आये। यह देख श्रीकृष्ण समेत सभी पांडव भाई भी खुश हुए और उनका स्वागत किया। बलराम सीधे जाकर धर्मराज युधिष्ठिर के पास बैठ गये।
Mahabharat: महाभारत के युद्ध में हजारों सैनिक और योद्धा मारे गये। इसमें कई बड़े राजाओं और महायोद्धाओं ने कौरव और पांडवों की ओर से इसमें हिस्सा लिया लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये है कि श्रीकृष्ण के बड़े भाई और शेषनाग के अवतार बलराम जी ने इसमें हिस्सा नहीं लिया था। कौरव और पांडवों के बीच महायुद्ध की बात जानते हुए भी बलराम तीर्थयात्रा पर चले गये जबकि वे इस बात को भी जानते थे कि श्रीकृष्ण इसमें अर्जुन के सारथी के तौर पर हिस्सा ले रहे हैं। वहीं, श्रीकृष्ण की नारायणी सेना कौरवों की ओर से युद्ध लड़ रही थी।
बलराम जयंती के मौके पर आईए जानते हैं कि श्रीकृष्ण के दाऊ भैया बलराम ने आखिर ऐसा क्यों किया। बलराम जयंती हर साल कृष्णजन्माष्टमी से दो दिन पहले पड़ता है। इस बार बलराम जयंती 21 अगस्त को है जबकि जन्माष्टमी का त्योहार 23 अगस्त को मनाया जाएगा।
बलराम ने क्यों नहीं लिया महाभारत के युद्ध में हिस्सा
बलराम नहीं चाहते थे कि वे इस युद्ध में हिस्सा ले क्योंकि कौरव और पांडव दोनों ही उनके प्रिय थे। बलराम जी ने भगवान श्रीकृष्ण को भी इस बारे में काफी समझाने की कोशिश की कि दोनों को इस युद्ध में शामिल नहीं होना चाहिए। श्रीकृष्ण तो हालांकि सबकुछ जानते थे और इसलिए उनके मन को कोई दुविधा नहीं थी।
महाभारत की कथा के अनुसार जिस समय युद्ध की तैयारी चल रही थी तभी एक दिन बलराम पांडवों के शिविर में आये। यह देख श्रीकृष्ण समेत सभी पांडव भाई भी खुश हुए और उनका स्वागत किया।
बलराम सीधे जाकर धर्मराज युधिष्ठिर के पास बैठ गये। इसके बाद बलराम ने दुखी मन से कहा, 'मैंने श्रीकृष्ण को काफी समझाया कि वे इस युद्ध में हिस्सा नहीं ले लेकिन कान्हा को अर्जुन इतने प्रिय थे कि वे पांडवों की ओर से युद्ध के लिए तैयार हो गये। अब जिस ओर श्रीकृष्ण हैं उसके खिलाफ दूसरे खेमे में मैं कैसे जाऊं।' बलराम ने साथ ही कहा, 'भीम और दुर्योधन दोनों ने ही उनसे गदा युद्ध सीखा है और दोनों ही मुझे प्रिय हैं, ऐसे में इन्हें आपस में लड़ते हुए मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। इसलिए मैं तीर्थयात्रा पर जा रहा हूं।'
भीम और दुर्योधन के गदा युद्ध के बीच जब आये बलराम
बलराम जब तीर्थ से लौटते हैं, तब महाभारत का युद्ध आखिरी चरण में था। भीम और दुर्योधन के बीच युद्ध हो रहा था। भीम ने श्रीकृष्ण के इशारे पर दुर्योधन की जंघा पर गदा से वार किया और गांधारी पुत्र वहीं गिर गये। यह देख बलराम क्रोधित हो गये और भीम को सजा देने की बात करने लगे। श्रीकृष्ण ने तब बीच-बचाव किया और बड़े बलराम को याद दिलाया कि धर्म और अधर्म के बीच जब युद्ध लड़ा जा रहा था तब उन्होंने समय की इस चुनौती को स्वीकार नहीं किया था और तीर्थ यात्रा पर निकल गये थे। ऐसे में आखिरी चरण में वापस आकर उनका इस युद्ध के नतीजों को इस तरह प्रभावित करना ठीक नहीं है।