उज्जैन। भगवान राम का उज्जैन और महाकाल से गहरा नाता रहा है। 14 वर्ष के वनवास के दौरान न केवल वे यहाँ आये बल्कि यहाँ रामघाट पर शिप्रा में अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था। वहीं माता सीता ने वनवास के दौरान के कष्टों के निवारण के लिए उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध चिंतामण गणेश मंदिर सहित षड विनायक मंदिरों की स्थापना की थी। ऐसे में जब अयोध्या में भगवान राम के भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण हो रहा हो और उज्जैन का जिक्र न हो ये संभव नहीं है।
5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या पहुंचकर भव्य और दिव्य राम मंदिर निर्माण का भूमिपूजन कर शिलान्यास करेंगे। ऐसे में उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की भस्म, पवित्र कोटि तीर्थ कुंड और पुण्य सलिला शिप्रा नदी का जल सोमवार को अयोध्या रवाना किया गया। विश्व हिंदू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री नंददास, विभाग मंत्री महेश तिवारी, बजरंग दल के जिला संयोजक अंकित चौबे ने विहिप की एक टीम को भगवान महाकाल की भस्म, उज्जैन की पवित्र माटी और शिप्रा और कोटि तीर्थ कुंड का जल लेकर अयोध्या रवाना किया गया।
इससे पहले महाकाल स्थित महानिर्वाणी अखाड़े के गादीपति महंत विनीत गिरी महाराज ने विहिप के दल को शुभकामनाएं दीं और भगवान महाकाल की भस्म और जल देकर रवाना किया। उनके मुताबिक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में जिस राम मन्दिर के निर्माण का इंतजार करते करते हमारी सैकड़ों पीढियां तिरोहित हो गई उसी अयोध्या में भगवान राम के भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण होना हमारी पीढ़ी के लिए गौरव की बात है।
यहाँ आपको बता दें कि 5 अगस्त को होने वाले राम मंदिर के शिलान्यास और भूमि पूजन के लिए सभी 12 ज्योतिर्लिंगों और सप्त पुरियों की मिट्टी, पवित्र नदियों और संगम का जल मंगवाया गया है जो राम मंदिर निर्माण के भूमिपूजन में नींव में डाला जाएगा। उज्जैन के लिए यह सौभाग्य है की उज्जैन में न केवल प्रमुख ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर विद्यमान है बल्कि गंगा से ही पवित्र उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी बहती है।
वहीं सप्तपुरियों में भी उज्जैन शामिल है। इसके अतिरिक्त कोटि तीर्थ कुंड महाकाल परिसर में स्थित है। जिसका जल सभी पवित्र नदियों से भी अधिक पवित्र माना जाता है ऐसे में राम मंदिर निर्माण के भूमिपूजन में उज्जैन से भगवान महाकाल की भस्म के अलावा यहां की मिट्टी, शिप्रा और कोटि तीर्थ का जल पहुंचाया गया है।