Ardra Nakshatra 2019: ज्योतिष शास्त्र में मानसून और बारिश के लिए आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य का प्रवेश बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत कृषि प्रधान देश है और यहां खेती बहुत हद तक मानसून की चाल पर निर्भर रहती है।
ऐसे में ज्योतिष की गणना के अनुसार बारिश की संभावनाओं के आकलन का महत्व भारत में काफी लंबे समय से रहा है। ऐसे में माना जाता है कि सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश से बारिश का योग बनता है जो कृषि के लिए शुभ है। इसे कई जगहों पर 'आर्द्रा चढ़ना' भी कहा जाता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार भगवान शिव शिव के रूद्र रूप ही आर्द्रा नक्षत्र के स्वामी हैं। ये प्रजापालक हैं, लेकिन जब उग्र होते हैं तो विनाशकारी घटनाओं की शंका बनी रहती है।
दरअसल, चंद्रमा को नक्षत्रराज कहा जाता है इसी के मार्ग में पड़ने वाले विशेष तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। इनकी संख्या 27 है। आर्द्रा छठा नक्षत्र है। यह मुख्य रूप से राहू ग्रह का नक्षत्र है। मान्यता के अनुसार सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ ही वातावरण में उमस आना शुरू हो जाता है और बारिश के लिए बादल तैयार होने लगते हैं।
क्या है आर्द्रा के मायने और इसका महत्व
आर्द्रा का अर्थ नमी होता है। मान्यता है कि इन दिनों में पृथ्वी की खुदाई नहीं करनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि पृथ्वी रजस्वला होती है। इस दौरान 22 से 26 जून के बीच हर साल कामाख्या मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। इस दौरान विश्व प्रसिद्ध अम्बुवाची मेला भी यहां लगता है। इस बार सूर्य का आर्द्रा में प्रवेश 22 जून को शाम 5 बजकर 7 मिनट, 30 सेकेंड पर वृश्चिक लग्न में हो रहा है। सूर्य इस दौरान आर्द्रा नक्षत्र में 6 जुलाई 2019 को शाम 4 बजे तक रहेंगे।
उत्तर भारत में आर्द्रा का महत्व
आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश के दौरान भगवान शिव और विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। उत्तर भारत में इस दिन भगवान को खीर और आम का भोग लगाने और खाने की परंपरा है।