Amalaki Ekadashi 2025: आमलकी एकादशी पर बन रहे हैं ये तीन शुभ, जानें व्रत विधि, पूजा मुहूर्त और व्रत पारण का समय
By रुस्तम राणा | Updated: March 6, 2025 16:44 IST2025-03-06T16:44:01+5:302025-03-06T16:44:01+5:30
Amalaki Ekadashi 2025 date: इस वर्ष आमलकी एकादशी 10 मार्च, सोमवार को है और इस दिन तीन विशेष योगों का निर्माण हो रहा है।

Amalaki Ekadashi 2025: आमलकी एकादशी पर बन रहे हैं ये तीन शुभ, जानें व्रत विधि, पूजा मुहूर्त और व्रत पारण का समय
Amalaki Ekadashi 2025: फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी होली से ठीक पहले आती है। इसलिए इसे रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त आमलकी एकादशी के दिन विधि पूर्वक व्रत रखकर भगवान श्री हरि विष्णु और आंवला की पूजा करते हैं एवं आमलकी एकादशी व्रत कथा को ध्यानपूर्वक सुनते हैं उनकी समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और अंत में उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और आंवले का भोग लगाया जाता है। इस वर्ष आमलकी एकादशी 10 मार्च, सोमवार को है और इस दिन तीन विशेष योगों का निर्माण हो रहा है।
आमलकी एकादशी तिथि एवं पारण मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ - मार्च 09, 2025 को 07:45 ए एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त - मार्च 10, 2025 को 07:44 ए एम बजे
पारण (व्रत तोड़ने का) समय - मार्च 11, 2025 को 06:34 ए एम से 08:13 ए एम
पूजा मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4:59 बजे से 5:48 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:08 बजे से 12:55 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू – सुबह 6:36 बजे
ब्रह्म मुहूर्त के दौरान पूजा करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है, खासकर क्योंकि यह शोभन योग के साथ मेल खाता है, जिसे समृद्धि और सफलता लाने वाला माना जाता है।
आमलकी एकादशी पर शुभ योग
सर्वार्थ सिद्धि योग – सुबह 6:36 बजे से 12:51 बजे तक (मध्यरात्रि)
शोभन योग – सुबह से दोपहर 1:57 बजे तक
पुष्य नक्षत्र – दिन भर सक्रिय, 12:51 बजे समाप्त
आमलकी एकादशी व्रत विधि
सुबह जल्दी उठकर गंगा जल से स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद भगवान विष्णु जी की पूजा करें।
अब पूजन सामग्री लेकर आंवले के वृक्ष की पूजा करें।
वृक्ष के चारों की भूमि को साफ करें और उसे गाय के गोबर से पवित्र करें।
पेड़ की जड़ में एक वेदी बनाकर उस पर कलश स्थापित करें।
इस कलश में देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमंत्रित करें।
कलश में सुगंधी और पंच रत्न रखें। इसके ऊपर पंच पल्लव रखें फिर दीप जलाकर रखें।
कलश पर श्रीखंड चंदन का लेप करें और वस्त्र पहनाएं।
अंत में कलश के ऊपर श्री विष्णु के छठे अवतार परशुराम की स्वर्ण मूर्ति स्थापित करें
विधिवत रूप से परशुरामजी की पूजा करें।
रात्रि में भगवत कथा व भजन-कीर्तन करते हुए प्रभु का स्मरण करें।
द्वादशी के दिन व्रत पारण के पश्चात अन्न जल ग्रहण करें।
आमलकी एकादशी व्रत का महत्व
पौराणिक शास्त्रों में आंवला वृक्ष भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। इसके हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है। मान्यता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवला और श्री हरि की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और शत्रुओं के भय से मुक्ति मिलती है धन-संपत्ति पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। हर एकादशी तिथि की तरह आमलकी एकादशी के दिन चालव का सेवन नहीं करना चाहिए, बल्कि इस दिन दान-पुण्य के कार्य करने चाहिए।