Akshaya Tritiya 2022: इस बार 50 साल बाद अक्षय तृतीया पर बनेगा ग्रहों का विशेष संयोग, ऐसे उठा सकते हैं लाभ
By रुस्तम राणा | Updated: April 22, 2022 15:02 IST2022-04-22T15:00:03+5:302022-04-22T15:02:01+5:30
अक्षय तृतीया पर 50 साल बाद चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में और शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेंगे। इसके अलावा शनि-गुरु अपनी राशि क्रमशः कुंभ और मीन में उपस्थिति होंगे।

Akshaya Tritiya 2022: इस बार 50 साल बाद अक्षय तृतीया पर बनेगा ग्रहों का विशेष संयोग, ऐसे उठा सकते हैं लाभ
अक्षय तृतीया पर्व 3 मई, 2022 को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। अक्षय यानी जिसका क्षय न हो। हिन्दू शास्त्रों में अबूझ मुहूर्त कहा जाता है अर्थात अक्षय तृतीया के दिन शादी-विवाह, गृह प्रवेश, घर, आभूषण खरीदना बेहद शुभ होता है। यही कारण है कि इस दिन बिना मुहूर्त निकाले किसी भी शुभ कार्य को संपन्न किया जा सकता है।
50 साल बाद अक्षय तृतीया पर ग्रहों का विशेष संयोग
इस बार अक्षय तृतीया पर 50 साल बाद ग्रह-नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस बार अक्षय तृतीय मंगल रोहिणी नक्षत्र के शोभन योग में मनाई जाएगी। 30 साल पहले अक्षय तृतीया पर्व इसी योग में मनाई गई थी। जबकि 50 साल बाद अक्षय तृतीया पर चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में और शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेंगे। इसके अलावा शनि-गुरु अपनी राशि क्रमशः कुंभ और मीन में उपस्थिति होंगे। 4 ग्रहों का ऐसा योग बहुत शुभ है जिसमें मांगलिक कार्य करना बेहद फलदाई होगा।
अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व
धार्मिक दृष्टि से इस त्योहार को धन की देवी मां लक्ष्मी-भगवान विष्णु और कुबेर देवता से जोड़कर देखा जाता है। इस दिन धूमधाम से भगवान परशुराम जी की जयंती भी मनाई जाती है। उन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। मान्यता है कि भगवान परशुराम जी का जन्म त्रेता युग में वैशाख माह शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि हो हुआ था। इस दिन इनकी विशेष पूजा की जाती है।
ऐसे उठाएं अक्षय तृतीया का लाभ
अक्षय तृतीया पर आप ग्रह नक्षत्रों के इस विशेष संयोग में दान से पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन जल से भरे कलश पर फल रखकर दान करना बहुत ही शुभ रहेगा। आपको दो कलश दान करना चाहिए। एक कलश पितरों के नाम पर और दूसरा भगवान विष्णु के नाम से दान करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ और भगवान विष्णु दोनों प्रसन्न होंगे।