संतान की लम्बी उम्र के लिए अहोई अष्टमी का व्रत हर साल महिलाएं बड़े मन से रखती हैं। दिन भर नर्जला व्रत रखकर वह रात में तारों की छांव में पूजा करती हैं। साथ ही तारों को अर्घ्य देने के बाद ही कुछ अन्न-जल ग्रहण करती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा करने से संतान को लम्बी उम्र का वरदान मिलता है।
इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 21 अक्टूबर को पड़ रहा है। अहोई माता का व्रत करके मां अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना करती है। ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन से दिवाली के उत्सव का आरंभ हो जाता है। संतान की सलामती से जुड़े इस व्रत का बहुत महत्व है। वैसे तो इसकी पूजा बेहद खास तरह से की जाती है। मगर अहोई माता की पूजा के भी कुछ नियम होते हैं जिन्हें जान लेना बहुत जरूरी होता है।
इस दिन महिलाएं चांदी के मनके डाले जाते हैं और हर व्रत में इनकी संख्या बढ़ाते जाते हैं। वहीं चांदी का ये मनका बनाकर महिलाएं इसे हर व्रत के बाद धारण कर लेती हैं। इसे ही शुभ माना जाता है।
आइए आपको बताते हैं अहोई व्रत के कुछ जरूरी नियम
1. अहोई अष्टमी का व्रत निर्जला रहना चाहिए। इससे संतान को पूर्ण फल प्राप्त होता है।
2. अहोई अष्टमी पर तांबे के लोटे से अर्घ्य नहीं दिया जाता है क्योंकि इसे अशुद्ध धातु माना जाता है।
3. अहोई अष्टमी पर चांद को नहीं बल्कि सितारों को अर्घ्य दिया जाता है। तो आप भी जब अपना व्रत खोलें तो तारों को अर्घ्य देकर ही खोलें।
4. भूलकर भी अहोई अष्टमी पर करवा का प्रयोग ना करें। करवा का प्रयोग सिर्फ और सिर्फ करवाचौथ के लिए किया जाता है।
5. अहोई अष्टमी के दिन भूलकर भी धारदार चीज जैसे चाकू, कैंची या नेलकटर का इस्तेमाल ना करें।
6. अहोई अष्टमी का व्रत बच्चों के लिए किया जाता है तो इस दिन बच्चों को अपने पास ही रखें।
7.अहोई अष्टमी के दिन अपने सास-ससुर के लिए बायना निकालना कतई ना भूलें।