पीएम मोदी ने किया काशी विश्वनाथ मंदिर का शिलान्यास, जानें इस शिवधाम के बारे में 10 खास बातें
By गुलनीत कौर | Published: March 8, 2019 01:08 PM2019-03-08T13:08:42+5:302019-03-08T13:08:42+5:30
काशी के विश्वनाथ मंदिर में बाबा विश्वनाथ गुरु और राजा के रुप में विराजमान हैं। मंदिर में रात के समय बाबा विश्वनाथ की श्रृंगार आरती की जाती है, जिसमें वो एक राज वेश में नजर आते है। इसलिये भगवान शिव को राज राजेश्वर भी कहा जाता हैं।
पीएम नरेन्द्र मोदी ने आज सुबह ही वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की नींव रखी है। यह 600 करोड़ का प्रोजक्ट है जिसके पूरा होते है मंदिर 39 मीटर वर्ग में फ़ैल जाएगा। पीएम मोदी भगवान शिव को समफ्र्पित इस मंदिर को बड़े शिवधाम के रूप में बनाने के मकसद से यह प्रोजेक्ट चला रहे हैं। आइए जानें इस मंदिर की 10 खास बातें:
1.काशी विश्वनाथ मंदिर के ज्योतिर्लिंग में शिव और शक्ति दोनों एक साथ विराजते हैं। यह ज्योतिर्लिंग देखने में बहुत आकर्षित है और श्रृंगार के समय सभी मूर्तियां पश्चिम मुखी होती है। ऐसा नजारा आपको किसी ओर मंदिर में देखने को नहीं मिलेगा।
2.इस मंदिर में चार मुख्य द्वार है जिन्हें शांति द्वार, कला द्वार, प्रतिष्ठा द्वार और निवृत्ति द्वार के नाम से जाना जाता हैं। जिन्हें तंत्र द्वार भी माना जाता हैं और शिव-शक्ति भी एक साथ विराजमान है।
3.काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में है, जिसमें एक तरफ शिव भगवान सुंदर रूप में विराजमान है और दूसरी तरफ शक्ति का प्रतीक मां भगवती विराजमान हैं। शिव और शक्ति एक साथ विराजमान होने की वजह से काशी को मुक्ति क्षेत्र भी माना जाता हैं।
4.विश्वनाथ मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा की ओर है और बाबा विश्वनाथ का मुख अघोर की तरफ है। इस मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण से उत्तर की ओर खुलता है। जब आप मुख्य द्वार से प्रवेश करते है तो सबसे पहले आपको बाबा विश्वनाथ के अघोर रूप दर्शन करने को मिलेगें। लोगों का मानना है कि इस मुख्य द्वार में प्रवेश करते ही भक्तों के पाप-ताप विनष्ट हो जाते हैं।
5.काशी के विश्वनाथ मंदिर में बाबा विश्वनाथ गुरु और राजा के रुप में विराजमान हैं। मंदिर में रात के समय बाबा विश्वनाथ की श्रृंगार आरती की जाती है, जिसमें वो एक राज वेश में नजर आते है। इसलिये भगवान शिव को राज राजेश्वर भी कहा जाता हैं।
6.काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शनमात्र से ही जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। इस मंदिर की एक ओर खासियत है जिसमें शिवरात्रि के समय बाबा विश्वनाथ औघड़ रूप में भी विचरण करते हैं।
7.शक्ति रूप मां भगवती को अन्नापूर्णा के रूप में भी पूजा जाता है, क्योकि वह काशी में रहने वालो सभी लोगों का पेट भरती है। बाबा विश्वनाथ तारक मंत्र देकर भक्तों को मुक्ति प्रदान करते है, इसलिये उन्हें ताडकेश्वर के नाम से भी बुलाया जाता है।
8.इस मंदिर का ज्योतिर्लिंग गर्भगृह के ईशान कोण में स्थित है। ईशान कोण का मतलब है तंत्र मे दस महाविद्याओं का दरबार, हर कला से निपुण दरबार और संपूर्ण विद्या का दरबार , जिसे बहुत शुभ माना जाता है। इसलिये भगवान शिव को ईशान भी कहा जाता है।
9.यंत्र और तंत्र के कारण काशी विश्वनाथ मंदिर काफी प्रसिद्ध है। तांत्रिक सिद्धि के लिये ये उपयुक्त स्थान हैं। इस मंदिर में ऊपर की ओर गुबंद में श्री यंत्र से मंडा हुआ है।
10.इस मंदिर में मुक्ति का मार्ग केवल काशी में खुलता है क्योकि काशी मंदिर में मां भगवती दाहिनी ओर विराजमान हैं। भगवान शिव यहां लोगों को तारक मंत्र देकर उन्हे तारते हैं। जिस मनुष्य की अकाल मृत्यु हुई है ,वह बिना शिव अराधना के मुक्ति नहीं पा सकता हैं।