जिंदगी के हर पड़ाव पर बनने वाले रिश्तों की अपनी एक अहमियत होती है। माता-पिता का बच्चों के साथ रिश्ता, भाई-बहन का रिश्ता, पति-पत्नी का रिश्ता, इत्यादि का अपना एक स्थान और महत्व होता है। और किसी एक रिश्ते को दूसरे के स्थान पर नहीं रखा जा सकता। लेकिन भारत का एक गांव ऐसा हिया जो भाई-बहन के रिश्ते को पति-पत्नी का रिश्ता बनाकर पूरे समाज के साथ ही खिलवाड़ कर रहा है।
भारत के छत्तीसगढ़ जिले के आदिवासी इलाके में 'धुर्वा' नाम की एक जनजाती रहती है। आदिवासी होने की वजह से ये लोग बाहरी लोगों और उनके रीति-रिवाजों से कटकर रहते हैं। और इसीलिए इनकी प्रथाएं और रिवाज भी समाज से अलग हैं।
इनकी एक प्रथा के अनुसार यहां माता-पिता अपने दोनों बच्चों की आपस में शादी करवा देते हैं। यानी यहां सगे भाई-बहन की शादी कराने का रिवाज है। अपनी ही बेटी से अपने बेटे की शादी कर देने की ये प्रथा इस गांव में कई वर्षों से चली आ रही है।
इसके पीछे का क्या कारण है, ऐसी प्रथा क्यों बनी, इसका जवाब तो कोई नहीं जानता लेकिन अगर भाई-बहन में से कोई भी शादी करने से मना करे तो उन्हें भारी जुर्माना भरना पड़ता है।
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छत्तीसगढ़ की आदिवासी जनजाती की इस प्रथा के बारे में लोग अक्सर यह कहते हैं कि शायद यह जनजाती अपनी जनसंख्या कम होने के कारण अपने ही बच्चों की आपस में शादी करवा देती है। ताकि इन्हें बच्चे ब्याने के लिए बाहर गांव ना जाना पड़े। लेकिन यह बात कितनी सही है यह कोई नहीं जानता।