जयपुर: राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक बार फिर से सत्ता में वापसी के लिए राज्य में कई लोक-लुभावन योजनाएं लॉन्च कर रहे हैं। हाल ही में गहलोत ने राज्य में घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट तक बिजली फ्री देने की घोषणा की। इस नई योजना के तहत किसी भी उपभोक्ता को पहले 100 यूनिट तक बिजली खर्च करने पर कोई बिल नहीं आएगा। हर महीने 100 यूनिट से ज्यादा बिजली का इस्तेमाल करने वाले परिवारों को भी पहली 100 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा की गई है। इसके अलावा 200 यूनिट तक बिजली पर किसी तरह का सरचार्ज, परमानेंट चार्ज या इलेक्ट्रिसिटी फीस नहीं देनी होगी।
अशोक गहलोत से पहले दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार, पंजाब सरकार और कर्नाटक सरकार भी ऐसी योजनाएं लॉन्च कर चुकी हैं। हालांकि राजस्थान की स्थिति इन राज्यों से अलग है। राजस्थान की बिजली कंपनियां पहले से ही घाटे में हैं। इसे लेकर जब मुख्यमंत्री गहलोत से सवाल पूछा गया तो उन्होंने एक अजीब बयान दिया।
'द लल्लनटॉप' के एक इंटरव्यू में 100 यूनिट तक बिजली फ्री देने पर बिजली कंपनियों को होने वाले घाटे से संबंधित एक सवाल के जवाब में गहलोत ने कहा, "बिजली कंपनियां जब से बनी हैं, तब से घाटे में ही हैं। ये कंपनियां घाटे में ही होती हैं। इनको चलाने की सामाजिक जिम्मेदारी सरकार की होती है। यह केवल राजस्थान की बात नहीं है। अधिकांश राज्यों में बिजली कंपनियां घाटे में चलती हैं। इनकी घाटा पूर्ति सरकार करती है। 15 साल पहले हमने बिजली की रेट किसानों के लिए 90 पैसे प्रति यूनिट रखी थी। हमने वादा किया कि 5 साल तक रेट नहीं बढ़ाएंगे और ऐसा किया गया। फिर बीजेपी की सरकार आई तो उन्होंने भी रेट नहीं बढ़ाए। फिर हमारी सरकार आई तो हमने भी रेट नहीं बढ़ाया। ये फैसले लोकहित में सोच-समझकर किए जाते हैं। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल भी कर रहे हैं। ये घोषणा हमारे बजट की है। उसमें कुछ कन्फ्यूजन था, जिसे अब दूर किया गया है।"
बता दें कि राजस्थान में कांग्रेस पूरी तरह से चुनावी मूड में आ गई है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में राज्य में चुनाव कार्यक्रम घोषित किया जा सकता है और नवंबर अंत और दिसंबर के पहले सप्ताह में मतदान होने के साथ नतीजे आ सकते हैं। राजस्थान का पिछले 30 साल से इतिहास रहा है कि कोई भी पार्टी सत्ता में दोबारा वापस नहीं आई। यहां हर 5 साल पर सरकार बदल जाती है। लेकिन इस बार सत्ता में दोबारा वापसी के लिए अशेक गहलोत कोई कसर नहीं छोड़ रहे।