इंडोनेशिया के आठ धर्मप्रचारक बिजनौर मस्जिद में ठहरे, मरकज से लौटे थे, पांच लोगों के विरुद्द मुकदमा दर्ज
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 31, 2020 03:49 PM2020-03-31T15:49:06+5:302020-03-31T15:51:43+5:30
एस पी (देहात) संजय सिंह के अनुसार नगीना की जामुन वाली मस्जिद में मरकज दिल्ली से इंडोनेशिया के आठ धर्मप्रचारक मिले हैं। उन्होंने बताया कि पहले ये लोग ओडिशा गये फिर 21 मार्च को नगीना आए। एसपी देहात के अनुसार सबको पृथक केन्द्र भेजा गया है।
बिजनौरः उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की तहसील नगीना की मस्जिद में दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज से आए इंडोनेशिया के आठ धर्मप्रचारक मिले।
एस पी (देहात) संजय सिंह के अनुसार नगीना की जामुन वाली मस्जिद में मरकज दिल्ली से इंडोनेशिया के आठ धर्मप्रचारक मिले हैं। उन्होंने बताया कि पहले ये लोग ओडिशा गये फिर 21 मार्च को नगीना आए। एसपी देहात के अनुसार सबको पृथक केन्द्र भेजा गया है और इनसे पूरी जानकारी जुटाई जा रही है कि ये लोग कहां -कहां गए थे। मस्जिद के पांच लोगों के विरुद्द मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग मस्जिद को सेनेटाइज करवा रहा है।
कोरोना संकट के बीच धार्मिक कार्यक्रम के कारण सुर्खियों में आयी तब्लीगी जमात के मुख्यालय मरकज निज़ामुद्दीन ने मंगलवार को कहा कि उसने कानून के किसी प्रवधान का उल्लंघन नहीं किया है। उसने अपने परिसर में क्वारन्टीन सेंटर स्थापित करने की भी पेशकश की है। मरकज ने एक बयान में कहा कि वह प्रशासन के साथ पूरा सहयोग करेगा।
दिल्ली सरकार ने मंगलवार को कहा कि मरकज में कुछ दिनों पहले आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हुए 24 लोगों के कोरोना से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। मरकज ने कानूनी कार्रवाई के दिल्ली सरकार के निर्देश का हवाला देते हुए कहा, ''इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मरकज ने कभी कानून के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया। हमने लोगों को आईएसबीटी या सड़कों पर नहीं जाने देकर चिकित्सा दिशानिर्देश का उल्लंघन नहीं होने दिया।'' मरकज के मुताबिक वह चाहता है कि उसके पूरे परिसर को क्वारन्टीन सेंटर के रूप में इस्तेमाल किया जाए।
उसने कहा, ‘‘जब जनता कर्फ्यू का ऐलान हुआ, तो बहुत सारे लोग मरकज में रह रहे थे। 22 मार्च को प्रधानमंत्री ने जनता कर्फ्यू का ऐलान किया तो उसी दिन मरकज बंद कर दिया गया। बाहर से किसी भी आदमी को नहीं आने दिया गया।'' मरकज ने कहा, '''जो लोग मरकज में रह रहे थे उन्हें घर भेजने का इंतजाम किया जाने लगा। 21 मार्च से ही रेल सेवाएं बन्द होने लगी थी, इसलिए बाहर के लोगों को भेजना मुश्किल था। इसके बावजूद दिल्ली और आसपास के करीब 1500 लोगों को घर भेजा गया। करीब 1000 लोग मरकज में बच गए थे।''