बिहारः फिर से गायब हुए तेजस्वी यादव, विपक्ष ने साधा निशाना, जदयू ने कहा-महागठबंधन को अधर में छोड़ राजद के भ्रष्टाचारी युवराज कहां!

By एस पी सिन्हा | Published: December 17, 2020 03:51 PM2020-12-17T15:51:11+5:302020-12-17T21:00:40+5:30

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और महागठबंधन लीडर तेजस्वी यादव फिर से राजनीति से दूर हैं. भाजपा और जदयू ने पूछा कि दिल्ली क्या देश से बाहर है. राजद नेता भी कुछ नहीं बता रहे हैं.

rjd tejashwi yadav missing from bihar politics jdu bjp targets asks delhi out country patna | बिहारः फिर से गायब हुए तेजस्वी यादव, विपक्ष ने साधा निशाना, जदयू ने कहा-महागठबंधन को अधर में छोड़ राजद के भ्रष्टाचारी युवराज कहां!

बिहार में किसान आंदोलन की अलख जगाकर राजनीतिक परिदृश्य से वह फिर ओझल हैं. (file photo)

Highlightsनीरज कुमार ने ट्वीट कर आरजेडी से तेजस्वी यादव को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है.किसानों के समर्थन में बुलाए गए भारत बंद में तेजस्वी यादव शामिल नहीं हुए थे.बीजेपी ने भी तेजस्वी यादव को निशाने पर लेते हुए उन्हें नॉन-सीरियस तक बता दिया.

पटनाः बिहार में थोड़ा सा अंतर के साथ सत्ता से बाहर रह गए और राजग की नई सरकार के गठन के साथ ही मान लिया गया था कि महागठबंधन के नेता के रूप में तेजस्वी यादव से नीतीश कुमार को कड़ी चुनौती मिलती रहेगी, लेकिन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इन दिनों सक्रिय राजनीति से दूर हैं.

वे कहां हैं इसका पता पार्टी को भी नहीं है. अब इसे लेकर एकबार फिर पक्ष विपक्ष पर हमलावर है. हालांकि, तेजस्वी यादव वैसे तो सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और लगातार नीतीश सरकार को कटघरे में खडे़ कर रहे हैं, लेकिन वे सक्रिय रूप ने गायब हैं. बिहार में किसान आंदोलन की अलख जगाकर राजनीतिक परिदृश्य से वह फिर ओझल हैं.

ऐसी स्थिति में भला सत्ताधारी पार्टी हमला करने से कैसे पीछे हट सकती है. इसे लेकर जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने बड़ा प्रहार किया है. उन्होंने तेजस्वी के साथ राजद से पूछा है कि जनता जानना चाहती है कि तेजस्वी कहां हैं. राजद इसकी जानकारी दें. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि महागठबंधन को अधर में छोड़ राजद के भ्रष्टाचारी युवराज तेजस्वी यादव पूर्व की भांति पुनः लापता. कुनबा हताश. उम्मीद है नवसामंतवाद का अपना प्रतीक मचिया साथ ले गए होंगे पर कहां? इसकी खबर तो होनी चाहिए!

तेजस्वी पर अक्सर गायब हो जाने का आरोप लगता रहता है

बिहार के आम अवाम जानना चाहते हैं, राजद स्पष्टीकरण दे. यहां बता दें तेजस्वी पर अक्सर गायब हो जाने का आरोप लगता रहता है. वह लोकसभा चुनाव के बाद भी सक्रिय राजनीति से गायब हो गए थे. जिसे लेकर सत्ताधारी पार्टी ने लापता का इश्तिहार भी लगवा दिया था.

इतना ही नहीं मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के वक्त भी तेजस्वी नहीं थे. इसके बाद राजधानी पटना जब बारिश के पानी में डूब गई थी. उस वक्त भी तेजस्वी यादव पर लापता होने का आरोप लगा था और अब जब विधानसभा चुनाव खत्म हुआ है तब भी उनपर लापता होने का आरोप जदयू लगा रही है. 

तेजस्वी ने बिहार में ही रहकर लगातार संघर्ष का सपना दिखाया था

ऐसे में अब यह देखना है कि इस सवाल का जवाब तेजस्वी खुद देते हैं या पार्टी जानकारी देती है. वैसे विधानसभा चुनाव में मामूली अंतर से सत्ता से बाहर रह गए विपक्षी दलों को तेजस्वी ने बिहार में ही रहकर लगातार संघर्ष का सपना दिखाया था. नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से सरकार को सड़क से सदन तक घेरने का वादा किया था पर जब वक्त आया तो खुद ही परिदृश्य से गायब  हैं. कहां हैं?

इसके बारे में सच-सच किसी को नहीं पता. उनकी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को भी नहीं. राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नवल किशोर दावा करते हैं कि तेजस्वी दिल्ली में हैं, परंतु कहां हैं? इससे वह भी बेखबर हैं. प्रदेश प्रवक्ताओं को भी जानकारी नहीं है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है. अपने तो उठा ही रहे हैं. परायों को भी मौका मिल गया है. 

तेजस्वी का अता-पता कई अहम मौकों पर पूछा जा चुका है

ऐसा नहीं कि यह पहली बार हो रहा है. सत्ता पक्ष की ओर से तेजस्वी का अता-पता कई अहम मौकों पर पूछा जा चुका है. भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी और जदयू के नीरज कुमार ने लोकसभा चुनाव के बाद नेता प्रतिपक्ष के अचानक ओझल हो जाने पर लगातार सवाल उठाते रहे थे. तब तेजस्वी के बारे में सूचनाएं आम नहीं हो रही थीं.

दो महीने तक असमंजस के हालात थे. राजद के जीरो पर आउट होने और नेता प्रतिपक्ष के अचानक ओझल हो जाने से कुछ लोग यहां तक मानने लगे थे कि शायद अब राजनीति से उनका मोहभंग हो चुका है. कई अन्य अहम मौकों पर भी तेजस्वी का ऐसा ही रवैया रहा है.

मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (एइएस) का मामला हो या पटना में बाढ़ का, वह बिहार से बाहर रहने के कारण विरोधियों के निशाने पर ही रहे हैं. हालांकि लॉकडाउन के दौरान वह इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय जरूर दिखे थे, लेकिन शुरू के दिनों में राहत कार्यों में प्रत्यक्ष भागीदारी के लिए पटना में उनका इंतजार होता रहा था. 

वहीं, कांग्रेस विधायक शकील अहमद को किसान आंदोलन से तेजस्वी का गायब रहना अच्छा नहीं लग रहा. उन्होंने इंटरनेट मीडिया के जरिए तेजस्वी के बयान जारी करने को दिखावटी बताया और कहा कि उन्हें मौजूद रहकर नेतृत्व करना चाहिए. राजद के एक वरिष्ठ नेता का दावा है कि झारखंड हाईकोर्ट में लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर सुनवाई में न्यायिक इंतजाम के लिए वह सात दिसंबर को दिल्ली गए थे.

मगर सुनवाई 12 दिसंबर को ही हो चुकी. अब उन्हें लौट जाना चाहिए था. किसान आंदोलन को बिहार में उन्होंने ही शुरू कराया था, परंतु अब संपर्क से खुद ही कट गए हैं. आगे के कार्यक्रमों के लिए राजद को अपने नेता का निर्देश चाहिए, जो प्रयास करने पर भी नहीं मिल रहा है.

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