राज्यसभा चुनावः UP में 10वीं सीट के लिए रोचक मुकाबला, राजनीतिक दल ठोंक रहे अपनी-अपनी दावेदारी

By भाषा | Updated: March 22, 2018 19:33 IST2018-03-22T19:33:46+5:302018-03-22T19:33:46+5:30

राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक करीब 25 साल के बाद ऐसा पहला मौका है जब बसपा प्रमुख मायावती ने सपा के प्रति नरम रुख अपनाया है। यह आगे भी जारी रहेगा, इसका सारा दारोमदार राज्यसभा चुनाव के परिणाम पर है।

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राज्यसभा चुनावः UP में 10वीं सीट के लिए रोचक मुकाबला, राजनीतिक दल ठोंक रहे अपनी-अपनी दावेदारी

लखनऊ, 22 मार्च: उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की 10 सीटों के लिये कल होने वाले चुनाव में 10 वीं सीट के लिये भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से एक अतिरिक्त उम्मीदवार उतार देने से मुकाबला रोचक हो गया है। यह चुनाव आगामी लोकसभा निर्वाचन के लिये सूबे की दो बड़ी सियासी ताकतों सपा और बसपा के गठबंधन की सम्भावनाओं के लिहाज से निर्णायक होगा।

बसपा-सपा की जोड़ी

राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक करीब 25 साल के बाद ऐसा पहला मौका है जब बसपा प्रमुख मायावती ने सपा के प्रति नरम रुख अपनाया है। यह आगे भी जारी रहेगा, इसका सारा दारोमदार राज्यसभा चुनाव के परिणाम पर है। यह चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सपा और बसपा के गठबंधन की सम्भावनाओं पर निर्णायक असर डालेगा। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा में एक उम्मीदवार को जिताने के लिये 37 विधायकों का समर्थन जरूरत है। 

सपा के पास 47 सदस्य

प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में सपा के पास 47 सदस्य हैं। उसके पास अपनी उम्मीदवार जया बच्चन को चुनाव जिताने के बाद भी तकनीकी रूप से 10 वोट बच जाएंगे। बसपा के पास 19 वोट हैं जबकि कांग्रेस के पास सात और राष्ट्रीय लोकदल के पास एक वोट है। ऐसे में इन दलों का गठबंधन ही दसवें सदस्य को राज्यसभा भेज सकता है, मगर जरा सी भी गड़बड़ी सारा गणित बिगाड़ सकती है।

'डिनर डिप्लोमेसी' का लिया सहारा  

बहरहाल, 324 विधायकों के संख्याबल के आधार पर आठ सीटें आराम से जीत सकने वाली भाजपा ने 10 सीटों के लिये नौ प्रत्याशी उतारे हैं, जो विपक्ष के लिये चिंता का सबब है, क्योंकि अगर 'क्रास वोटिंग' हुई तो विपक्ष के लिये मुसीबत होगी। अपने-अपने मतों को एकजुट रखने के लिये सपा और बसपा ने 'डिनर डिप्लोमेसी' का सहारा लिया है। सपा ने बुधवार रात अपने विधायकों को रात्रि भोज पर बुलाया था और बसपा मुखिया मायावती ने भीग गुरुवार अपने विधायकों को रात के खाने पर आमंत्रित किया है।

नितिन अग्रवाल कर सकते हैं बीजेपी को वोट

पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल के भाजपा में जाने के बाद उनके सपा विधायक पुत्र नितिन अग्रवाल के भी भाजपा के पक्ष में वोट करने की प्रबल सम्भावना है लेकिन सपा के लिये राहत की बात रही कि बुधवार को हुए विधायकों के रात्रि भोज में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा और कभी उनके प्रतिद्वंद्वी रहे शिवपाल यादव तथा निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने शिरकत की। दोनों ने सपा का साथ देने की बात भी कही है। कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी को समर्थन देने का एलान किया है।

योगी के आवास पर बुलाई गई बैठक

वहीं, भाजपा की तरफ से भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निवास 5 कालीदास मार्ग पर बुधवार रात पार्टी के विधायकों की एक बैठक बुलाई गयी थी। जिसमें पार्टी के सभी विधायक तो शामिल ही हुये थे। साथ ही समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुये सांसद नरेश अग्रवाल के पुत्र और सपा के विधायक नितिन अग्रवाल भी इस बैठक में शामिल हुये थे। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी भी शामिल हुये थे। 

भाजपा आठ सीटें आसानी से जीत सकती है

उधर, भारतीय जनता पार्टी के अतिरिक्त प्रत्याशी की जीत की राह इतनी आसान नहीं मालूम पड़ती है। हालांकि भाजपा के पास इतने वोट हैं कि वह आराम से अपने आठ प्रत्याशियों को राज्यसभा में भेज सकती है लेकिन पार्टी के नवें प्रत्याशी की जीत के लिये अपने सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी :सुभासपा: के चार वोट और अपना दल सोनेलाल के नौ वोट बहुत महत्वपूर्ण हैं। लेकिन इसके बाद भी भाजपा के नौवें प्रत्याशी को जीतने के लिये नौ अतिरिक्त वोटों की जरूरत है।

भाजपा के पास 324 सदस्य

राज्य विधानसभा में भाजपा और उसके सहयोगियों के पास 324 सीटें हैं। अभी हाल ही में भाजपा के नूरपूर के विधायक की सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी थी। आठ प्रत्याशियों को राज्यसभा में भेजने के बाद 28 अतिरिक्त वोट भाजपा के पास है जिसमें सुभासपा के चार वोट तथा अपना दल सोनेलाल के आठ वोट भी शामिल हैं।

अपना दल के 9 एमएलए भाजपा के साथ

अपना दल के अध्यक्ष आशीष पटेल ने गुरुवार को बताया कि 'यूपी विधानसभा में पार्टी के नौ विधायक है और यह सभी विधायक भाजपा के साथ हैं। हमने अपने पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई थी जिसमें हमने भाजपा का साथ देने का फैसला ​सर्वसम्मति से लिया है।' अपना दल का यह फैसला सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर द्वारा भाजपा के समर्थन देने के फैसले के एक दिन बाद आया है।

यूपी से ये हैं उम्मीदवार

यूपी से राज्यसभा की 10 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने नौ प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें अरूण जेटली, डॉ.अशोक बाजपेयी, विजयपाल सिंह तोमर, सकलदीप राजभर, कांता कर्दम, डॉ. अनिल जैन, जीवीएल नरसिम्हा राव, हरनाथ सिंह यादव तथा अनिल कुमार अग्रवाल है। जबकि सपा ने जया बच्चन और बसपा ने भीमराव आंबेडकर को मैदान में उतारा है। मालूम हो कि सपा के राज्यसभा सदस्यों नरेश अग्रवाल, दर्शन सिंह यादव, नरेश चन्द्र अग्रवाल, जया बच्चन, चैधरी मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी, भाजपा के विनय कटियार और कांग्रेस के प्रमोद तिवारी का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके अलावा मनोहर पर्रिकर और मायावती की सीट रिक्त है। राज्यसभा चुनाव के लिये मतदान कल 23 मार्च को होगा और परिणाम भी शुक्रवार को ही घोषित होंगे।

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