पायलट और गहलोत के लिए आज अहम दिन, बागी विधायकों पर राजस्थान हाईकोर्ट सुनाएगा फैसला
By पल्लवी कुमारी | Published: July 24, 2020 07:14 AM2020-07-24T07:14:58+5:302020-07-24T07:14:58+5:30
Rajasthan Political crisis: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करने के बाद सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री पद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया जा चुका है। दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस द्वारा पायलट के बजाए गहलोत को तरजीह देने के बाद से ही सचिन पायलट खफा थे।
जयपुर: राजस्थान के सिसायी उठापठक (Rajasthan Political crisis) के बीच आज का दिन काफी अहम है। राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) शुक्रवार (24 जुलाई) को कांग्रेस नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और 18 अन्य विधायकों की याचिका पर फैसला सुनाएगी। कोर्ट अपना फैसला आज सुबह 10.30 बजे सुनाएगा। सचिन पायलट और राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए इस लिहाजे से आज एक अहम दिन है।
हालांकि सचिन पायलट गुट की ओर गुरुवार (23 जुलाई) को प्रतिवादियों की सूची में केंद्र सरकार को शामिल करने के लिए कोर्ट में अर्जी डाली गई है। अगर इस याचिका पर सुनवाई होती है तो हाई कोर्ट का फैसला आने में वक्त लग सकता है। हाई कोर्ट ने मंगलवार (21 जुलाई) को विधानसभा अध्यक्ष से कांग्रेस के बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता नोटिस पर कार्रवाई 24 जुलाई तक टालने का आग्रह किया था। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी वकीलों से मुलाकात करने विधानसभा पहुंचे और अयोग्यता नोटिस पर फैसला शुक्रवार (24 जुलाई) शाम तक टालने का निर्णय लिया।
विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के अयोग्यता नोटिस को बागी विधायकों ने हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
सचिन पायलट और कांग्रेस के बागी विधायकों ने पिछले हफ्ते शुक्रवार (17 जुलाई) को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका दाखिल करते हुए पायलट गुट ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के अयोग्यता नोटिस को चुनौती दी। राजस्थान हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति प्रकाश गुप्ता की पीठ ने इस पर सुनवाई की। दोनों पक्षों की जिरह होने और दलीलों की सुनवाई के बाद मंगलवार (21 जुलाई) को फैसला 24 जुलाई तक के लिए सुरक्षित रखा गया था।
जानें क्या है पूरा मामला
पिछले हफ्ते कांग्रेस कांग्रेस विधायक दल की दो बैठकों में सचिन पायलट और उनके खेमे के बागी विधायकों ने हिस्सा नहीं लिया था। जिसके बाद पार्टी ने व्हिप जारी कर विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की थी। इसके बाद स्पीकर ने इन विधायकों के खिलाफ अयोग्यता संबंधी नोटिस जारी किया था।
हालांकि, पायलट खेमे की दलील है कि पार्टी का व्हिप तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो। कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को दी गई अपनी शिकायत में पायलट और अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करने के बाद सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री पद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया जा चुका है।
कांग्रेस का दावा- किसी भी समय बहुमत साबित करने के लिए तैयार
कांग्रेस ने गुरुवार को दावा किया है कि वह विधानसभा के पटल पर किसी भी समय बहुमत साबित करने के लिए तैयार हैं क्योंकि उसके पास बहुमत का आंकड़ा मौजूद है। पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने यह भी कहा कि अगर पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और 18 अन्य बागी विधायकों को किसी तरह की शिकायत थी तो वो पार्टी के मंच पर बात कर सकते थे, लेकिन अब स्पष्ट हो गया है कि हालिया घटनाक्रम के पीछे भाजपा का हाथ है।
200 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 107 विधायक हैं जिनमें 19 बागी विधायक भी शामिल हैं। भाजपा के 72 विधायक हैं। दो विधायकों वाली माकपा ने कहा कि विधानसभा में बहुमत परीक्षण के दौरान वह निर्णय करेगी, लेकिन उम्मीद है कि वह गहलोत के पक्ष में मतदान करेगी। दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस द्वारा पायलट के बजाए गहलोत को तरजीह देने के बाद से ही सचिन पायलट खफा थे।