Rajasthan Political Crisis: एक्शन में सीएम अशोक गहलोत, जाति और संगठन का समीकरण साधने में व्यस्त!

By प्रदीप द्विवेदी | Published: July 14, 2020 10:00 PM2020-07-14T22:00:16+5:302020-07-14T22:00:16+5:30

धैर्य और अनुभव काम आया तथा वे कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व को सचिन पायलट के खिलाफ निर्णय लेने के लिए तैयार कर पाने में कामयाब रहे हैं. इस वक्त सीएम गहलोत के सामने कई चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन अब लगता है कि वे आसानी से इनसे पार पा जाएंगे.

Rajasthan Political Crisis: CM Ashok Gehlot action, busy in equating caste and organization | Rajasthan Political Crisis: एक्शन में सीएम अशोक गहलोत, जाति और संगठन का समीकरण साधने में व्यस्त!

नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर पायलट समर्थक ऐसे नेताओं को साधने की बड़ी जिम्मेदारी है. (file photo)

Highlightsएक सौ से ज्यादा एमएलए का समर्थन उनके पास है, उसे बनाए रखना ताकि फ्लोर टेस्ट का तनाव नहीं रहे. जातिगत समीकरण को साधना, सचिन पायलट गुर्जर नेता हैं और वे गुर्जर समाज को कांग्रेस के करीब लाने में काफी हद तक कामयाब रहे थे. सचिन पायलट लंबे समय से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे, लिहाजा पूरे प्रदेश में उनके तैयार किए हुए कई नेता हैं, खासकर युवा नेता हैं.

जयपुरः राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही सियासी रस्साकशी के कारण सीएम गहलोत लंबे समय से आरपार के फैसले का इंतजार कर रहे थे.

उनका धैर्य और अनुभव काम आया तथा वे कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व को सचिन पायलट के खिलाफ निर्णय लेने के लिए तैयार कर पाने में कामयाब रहे हैं. इस वक्त सीएम गहलोत के सामने कई चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन अब लगता है कि वे आसानी से इनसे पार पा जाएंगे.

ये हैं प्रमुख चुनौतियां.... एक- जो एक सौ से ज्यादा एमएलए का समर्थन उनके पास है, उसे बनाए रखना ताकि फ्लोर टेस्ट का तनाव नहीं रहे. दो- जातिगत समीकरण को साधना, सचिन पायलट गुर्जर नेता हैं और वे गुर्जर समाज को कांग्रेस के करीब लाने में काफी हद तक कामयाब रहे थे.

गहलोत टीम के लिए सचिन पायलट के मुकाबले का गुर्जर नेता तलाशना चुनौती है. तीन- क्योंकि सचिन पायलट लंबे समय से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे, लिहाजा पूरे प्रदेश में उनके तैयार किए हुए कई नेता हैं, खासकर युवा नेता हैं, जो पायलट के प्रति समर्पित हैं और अपना खुला समर्थन व्यक्त करते रहे हैं.

नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर पायलट समर्थक ऐसे नेताओं को साधने की बड़ी जिम्मेदारी है. चार- इस वक्त जो विधायक कांग्रेस के साथ है, उनमें से भी कुछ सचिन पायलट के प्रति साॅफ्ट कार्नर रखते हैं, ऐसे नेताओं की सियासी उपेक्षा भारी पड़ सकती है. पांच- पूर्व मंत्री और ब्राह्मण नेता भंवरलाल शर्मा जैसे विधायकों को योग्यता के बावजूद मंत्रिमंडल में जगह नहीं देने के कारण भी सचिन पायलट का खेमा मजबूत हुआ.

इस बार के मंत्रिमंडल विस्तार में ऐसे अन्य योग्य नेताओं को नजरअंदाज करना सरकार की सियासी सेहत के लिए ठीक नहीं होगा. छह- सबसे बड़ी चुनौती तो अपने समर्थक विधायकों को आपरेशन लोटस से बचाना की होगी. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अभी भले ही राजस्थान में कांग्रेस का सियासी समीकरण उलझा हुआ हो, लेकिन राजनीतिक प्रबंधन के एक्सपर्ट सीएम अशोक गहलोत बहुत जल्दी इसे सुलझा लेंगे!

Web Title: Rajasthan Political Crisis: CM Ashok Gehlot action, busy in equating caste and organization

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