राजस्थान सियासी संग्रामः बीजेपी- समय तू धीरे धीरे चल, कांग्रेस- जल्दी जल्दी चल!
By प्रदीप द्विवेदी | Updated: July 29, 2020 21:36 IST2020-07-29T21:36:48+5:302020-07-29T21:36:48+5:30
गहलोत सरकार विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए बार-बार राज्यपाल को फाइल भेज रही है, तो राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए सरकार द्वारा भेजी गई फाइल तीसरी बार फिर वापस भेज दी.

राजभवन की ओर से सरकार को 21 दिन के नोटिस पर सदन का नियमित मानसून सत्र बुलाने की सलाह जरूर दी गई है. (file photo)
जयपुरः राजस्थान का सियासी संग्राम दिलचस्प मोड़ पर है, अब पाॅलिटिकल मैच हारे या जीते, सीएम अशोक गहलोत रेफरी को तो गलत साबित करने में कामयाब हो ही गए हैं. राजस्थान सियासी संग्राम में हालत यह है कि बीजेपी चाहती है कि समय धीरे-धीरे चले, तो कांग्रेस चाहती है समय जल्दी-से-जल्दी गुजर जाए.
इसी के मद्देनजर जहां गहलोत सरकार विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए बार-बार राज्यपाल को फाइल भेज रही है, तो राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए सरकार द्वारा भेजी गई फाइल तीसरी बार फिर वापस भेज दी.
राज्यपाल ने सरकार से जानना चाहा है कि वह शॉर्ट नोटिस पर सत्र क्यों बुलाना चाहती है, इसे स्पष्ट करे. राज्यपाल का कहना है कि सरकार को यदि विश्वास मत हासिल करना है तो यह जल्दी, मतलब- अल्पसूचना पर सत्र बुलाए जाने का कारण हो सकता है. जाहिर है, कोरोना संकट पर चर्चा ऐसा कारण नहीं है, जिसके लिए अल्पसूचना पर सत्र बुलाया जा सके.
तीसरी बार फाइल लौटाए जाने के बाद सीएम अशोक गहलोत बुधवार को राज्यपाल से मिले
हालांकि, राजभवन की ओर से तीसरी बार फाइल लौटाए जाने के बाद सीएम अशोक गहलोत बुधवार को राज्यपाल से मिले, किन्तु अभी विधानसभा सत्र को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. अलबत्ता, राजभवन की ओर से सरकार को 21 दिन के नोटिस पर सदन का नियमित मानसून सत्र बुलाने की सलाह जरूर दी गई है.
इससे पहले, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में कानून मंत्री रहे कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं- कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद और अश्वनी कुमार ने राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र को पत्र लिखकर कहा था कि वे अशोक गहलोत मंत्रिमंडल की सिफारिश पर विधानसभा सत्र बुलाएं क्योंकि ऐसा नहीं करने से संवैधानिक संकट पैदा होगा.
यही नहीं, कांग्रेस के इन नेताओं ने 2016 के नबाम रेबिया मामले और 1974 के शमशेर सिंह बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह पर विधानसभा सत्र बुलाना चाहिए.
उनका कहना था कि स्थापित कानूनी व्यवस्था के तहत राज्य कैबिनेट की सलाह पर विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल बाध्य हैं. दरअसल, राजस्थान सियासी संग्राम का समीकरण उलझ गया है. प्रत्यक्ष तौर पर बहुमत सीएम अशोक गहलोत के पास है, लिहाजा वे तत्काल फ्लोर टेस्ट चाहते हैं, ताकि उन्हें निर्विघ्न राजकाज के लिए छह महीने का अवसर मिल जाए.
जबकि विरोधी खेमा उन्हें बहुमत साबित करने का अवसर देना नहीं चाहता है, इसलिए विधानसभा सत्र उलझा है. देखना दिलचस्प होगा कि गहलोत सरकार कितनी जल्दी विधानसभा का सत्र बुलाने में कामयाब होती है और तब तक सीएम गहलोत कैसे बहुमत को संभाल कर रखते हैं!
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