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भाकपा ने की मांग, कहा- मॉब लिंचिंग के कारण मौत होने पर फांसी की सजा का प्रावधान किया जाए

By भाषा | Updated: April 22, 2020 21:36 IST

महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं की भीड़ हिंसा में मौत होने की घटना पर गहरा दुख प्रकट करते हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने भीड़ हिंसा में मौत होने के मामलों में सजा-ए-मौत का प्रावधान करना वक्त की मांग है।

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ठळक मुद्देभाकपा ने भीड़ हिंसा के मामले में किसी की मौत होने पर कानून में दोषियों को कठोरतम दंड के रूप में 'सजा ए मौत' का प्रावधान करने की सरकार से मांग की है।अंजान ने कहा कि ऐसे घृणित अपराध के लिये कानून में कठोरतम सजा का प्रावधान करना ही एकमात्र विकल्प है जिससे इस तरह की घटनाएं भारतीय लोकतंत्र पर कलंक न लगा पायें।

नई दिल्ली: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने भीड़ हिंसा के मामले में किसी की मौत होने पर कानून में दोषियों को कठोरतम दंड के रूप में 'सजा ए मौत' का प्रावधान करने की सरकार से मांग की है। अंजान ने बुधवार को एक बयान में महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं की भीड़ हिंसा में मौत होने की घटना पर गहरा दुख प्रकट करते हुये कहा, 'भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) में मौत होने के मामलों में सजा-ए-मौत का प्रावधान करना वक्त की मांग है।' 

उन्होंने कहा कि अफवाहों एवं संकीर्ण धार्मिक सोच ने हाल के कुछ वर्षों में भारतीय संविधान और भारत की छवि को दुनिया भर में गहरी चोट पहुंचाई है। अंजान ने कहा कि सोची समझी साजिश के तहत या अफवाहों के माध्यम से बेगुनाह लोगों को भीड़ में घेर कर मार डालने की घटनाएं, सभ्य समाज के लिये चुनौती बन कर उभरी हैं। पालघर मामले में अफवाहों की बुनियाद पर की गई हत्या को सामाजिक कलंक बताते हुये उन्होंने कहा, 'पिछले चार-पांच वर्षों में देश के विभिन्न राज्यों में ऐसी वारदातें हो चुकी हैं। अब वक्त आ गया है कि केन्द्र सरकार इस मामले में राज्यों से चर्चा कर कानून में बदलाव करे।'

अंजान ने विधि आयोग से भी दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता में बदलाव करने में सरकार को भीड़ हिंसा के मामलों में मौत होने पर दोषियों के फांसी की सजा देने का प्रावधान करने का विकल्प सुझाने की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसे घृणित अपराध के लिये कानून में कठोरतम सजा का प्रावधान करना ही एकमात्र विकल्प है जिससे इस तरह की घटनाएं भारतीय लोकतंत्र पर कलंक न लगा पायें।

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