पटना: बिहार में बढ़ते कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के बीच सियासत भी तेज होने लगी है। तेजस्वी यादव ने तो पहले से ही नीतीश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। मगर आज सुबह-सुबह लॉकडाउन के दौरान आप्रवासी बिहारियों की घर वापसी के लिए ट्रनों के किराया और उनके बिहार से पलायन के मुद्दे गर्मा गया है।
इस बाबत राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबडी देवी ने राज्य की नीतीश सरकार पर हमला बोला है। लालू ने अपने ट्वीट में नीतीश कुमार की सरकार के 15 साल का हिसाब मांगा है। वहीं, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने उन्हें उनके कार्यकाल की याद दिलाई है। उधर, राबडी देवी ने कहा है कि सरकारी खजाने में जमा गरीबों के पैसे गरीबों पर खर्च करने में परेशानी है, लेकिन चेहरा चमकाने में विज्ञापन पर करोड़ो खर्च किए जा सकते हैं।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने बिहार सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए अपने ट्वीट में कहा है कि बिहार सरकार अपना नैतिक, प्राकृतिक, आर्थिक, तार्किक, मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, व्यावहारिक, न्यायिक, जनतांत्रिक और संवैधानिक चरित्र एवं संतुलन खो चुकी है। लोकलाज तो कभी रही ही नहीं, लेकिन जनादेश डकैती का तो सम्मान रख लेते। 15 बरस का हिसाब देने में कौनो दिक्कत बा?
इसके पहले एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि बिहार को बिहार और बिहारवासियों के हितों के लिए खूंटा गाड़ कर लड़ने वाली सरकार चाहिए। कदम-कदम पर लड़खड़ाने वाली खोखली, ढकोसली, विश्वासघाती, कुर्सीवादी और पलटीमार सरकार नहीं चाहिए। लालू ने आगे लिखा कि नीतीश कुमार व सुशील मोदी बताएं कि उनके 15 वर्षों के राज में बिहार के हर दूसरे घर से पलायन क्यों हुआ?
वहीं, लॉकडाउन में गरीब श्रमिकों की वापसी व उनके हित में खर्च को नाकाफी मानते हुए पूर्व मुख्यमंत्री राबडी देवी ने भी ट्वीट कर कहा है कि नीतीश सरकार द्वारा विज्ञापन पर खर्च के संबंध में मीडिया की एक खबर का हवाला देते हुए लिखा कि सरकारी खजाने में जमा गरीबों का पैसा गरीबों पर खर्च करने में बिहार सरकार को इतना जोर पड रहा है, माने अपने बाप-दादा की जायदाद बेचकर खर्च कर रहे हैं। राबडी देवी ने आगे हमला तेज करते हुए कहा है कि चेहरा चमकाने के लिए 500 करोड़ की विज्ञापन रूपी फेयर एंड लवली खरीदते वक्त नहीं क्यों सोचते?
ऐसे में लालू प्रसाद यादव के द्वारा सवाल पूछे जाने पर सूबे के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि उन्हें यदि अपना राजकाल याद नहीं है तो कम से कम प्रकाश झा की दो फिल्में गंगाजल और अपहरण को देखना चाहिए। उनको याद आ जाएगा कि उनके समय बिहार में किस तरह से सत्ता चलती थी? सुशील मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि लालू-राबडी राज में जहां जातीय नरसंहार और नक्सली उग्रवाद के चलते खेती-किसानी चौपट हुई। वहीं हत्या, लूट और उद्यमियों-व्यवसायियों से फिरौती वसूलने के लिए अपहरण की बढती घटनाओं के चलते व्यापार ठप पड़ गया था।
ग्रामीण और शहरी, दोनों अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर लालू प्रसाद यादव ने हर वर्ग के लोगों की रोजी-रोटी छीनी और उनको पलायन के लिए मजबूर कर दिया। लालू प्रसाद यादव को अपने राजपाट की भयावहता याद न हो, तो "गंगा जल" और "अपहरण" फिल्म फिर से देख लें। उप मुख्यमंत्री ने ट्वीट में लिखा है कि राजद काल के बिहार में न अच्छी सड़क थी, न पर्याप्त बिजली, विकास ठप था।
उन्होंने अपने ट्वीट में ये भी लिखा कि स्कूली शिक्षा चरवाहा विद्यालय के स्तर पर आ गई थी और राजनीतिक पसंद के लोगों को कुलपति बनाकर विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता नष्ट कर दी गई थी। जिस लालू प्रसाद के कारण लाखों मजदूरों, छात्रों और रोजगार देने वाले उद्यमियों को बिहार छोड़ना पड़ा, वे खुद बिहारियों की मुसीबत और शर्मिंदगी के सियासी गुनहगार हैं। जिन्हें अपने किए के लिए माफी मांगनी चाहिए, वे जेल से ट्वीट कर सवाल पूछ रहे हैं।