नई दिल्लीः देश के आर्थिक हालातों को लेकर हमलावर कांग्रेस की धार आज उस समय तेज़ हो गयी जब राहुल गांधी ने छह बिंदुओं पर सरकार पर हमला बोला।
उन्होंने ट्वीट किया जीडीपी में -23.9 फीसदी की ऐतिहासिक गिरावट, 12 करोड़ लोगों की नौकरी का जाना, 45 वर्षों में सर्वाधिक बेरोज़गारी, केंद्र द्वारा राज्य सरकारों को जीएसटी का भुगतान ना करना, दुनिया भर से अधिक कोरोना के मामलों में होने वाला हर रोज़ का इज़ाफा, हमारी सीमाओं में बाहरी ताक़तों की घुसपैठ, यह सब मोदी द्वारा पैदा की गयी स्थिति के कारण देश झेल रहा है।
राहुल लगातार पिछले कुछ दिनों से देश की अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर हैं। राहुल ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार देश को खतरे की ओर धकेल रही है रही है। वे अपने दंभ के कारण अनजान बने हुए हैं और इसीलिए वास्तविक चिंताओं से उनका कोई सरोकार नहीं है।
जहाँ एक ओर राहुल ने आर्थिक मुद्दों को लेकर हमला बोला तो दूसरी ओर पी चिदंबरम ने ट्वीट किया कि पांच दिनों में पीएम केयर फंड को 3076 करोड़ रुपये मिले लेकिन इन दयालु दाताओं के नाम क्यों सार्वजनिक नहीं किये जायेंगे। उन्होंने मोदी पर तंज कसा और पूछा कि दान दाताओं के नाम उजागर करने से आखिर क्यों डर रहे हैं।
पार्टी ने सोची समझी रणनीति के तहत मोदी सरकार पर अपने हमले की जंग रखा। पार्टी के नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आम आदमी जी डी पी का क्या असर होगा नहीं जानता लेकिन ये ज़रूर जानता है कि मज़दूरों के मुँह का निवाला छिनना ज़ुल्म है, लोगों का नंगे पावों चलना और बसों का खाली खड़े रहना पाप है।
सुरक्षा उपकरण मांगने पर डॉक्टरों के ट्विटर अकाउंट डिलीट करा देना तानाशाही है, नोटबंदी, गलत जीएसटी और लॉकडाउन डिज़ास्टर स्ट्रोक थे जिसे ये सरकार मास्टर स्ट्रोक बता कर झूठ बोल रही है। 14 सितम्बर से शुरू हो रहे संसद सत्र में प्रश्न काल कराने पर भी विपक्ष हमलावर है।
अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर, डेरेक ओ ब्रयेन सहित तमाम नेताओं ने इस पर विरोध जताया है। सूत्रों से मिली खबरों के अनुसार कांग्रेस की पहल पर विपक्ष प्रश्नकाल ना होने की दशा में सत्र का बहिष्कार करने की दिशा में विचार कर रहा है। थरूर का कहना था कि सरकार विरोध का स्वर दबाना चाहती है और उसका मकसद केवल सत्र बुलाकर विधेयक पारित करना है।