दादरा नगर हवेली के सांसद मोहनभाई सांजीभाई डेलकर की संदिग्ध अवस्था में मौत, होटल में मिला शव
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 22, 2021 04:18 PM2021-02-22T16:18:21+5:302021-02-23T11:22:06+5:30
दादरा नगर हवेली के सांसद मोहन डेलकर का शव मुंबई के एक होटल में मिला है। फिलहाल उनके खुदकुशी करने की आशंका जताई जा रही है...
दादरा नगर हवेली के सांसद मोहनभाई सांजीभाई डेलकर की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई है। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के एक होटल से 22 फरवरी को उनका शव बरामद किया गया। डेलकर के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है।
शव के पास से सुसाइड नोट बरामद
शव के पास से एक सुसाइड नोट भी मिला है, जो गुजराती भाषा में लिखा गया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्राथमिक जानकारी के आधार पर दुर्घटनावश मौत का मामला दर्ज किया जा रहा है।
Dadra and Nagar Haveli MP Mohan Delkar allegedly died by suicide at a hotel in South Mumbai. His body has been sent for postmortem. Further investigation is underway. More details awaited. pic.twitter.com/JRuMFTDUoe
— ANI (@ANI) February 22, 2021
Maharashtra: Dadra and Nagar Haveli MP Mohan Delkar allegedly died by suicide at a hotel in South Mumbai. His body has been sent for postmortem. Police present at the spot, investigation being carried out. More details awaited. pic.twitter.com/8iDrOxbUuA
— ANI (@ANI) February 22, 2021
डेलकर वह कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय मामलों संबंधी लोकसभा की स्थायी समिति के सदस्य थे। वहीं वह गृह मंत्रालय संबंधी निम्न सदन की सलाहकार समिति के सदस्य भी थे।
मोहनभाई सांजीभाई डेलकर ने बतौर ट्रेड यूनियन लीडर शुरू किया राजनीतिक सफर
अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत सिलवासा में ट्रेड यूनियन लीडर के तौर पर करने वाले मोहनभाई सांजीभाई डेलकर मई 2019 में सातवीं बार सांसद निर्वाचित हुए थे।
मोहनभाई सांजीभाई डेलकर साल 1989 में पहली बार बने दादरा नगर हवेली से सांसद
डेलकर पहली बार दादरा और नागर हवेली से कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर 1989 में निर्वाचित हुए थे। वह 1989-2009 तक लगातार छह बार निर्वाचित होकर संसद भवन पहुंचे।
इसके बाद उन्हें 2009 और 2014 के लोक सभा चुनावों में हार का सामना करना। हालांकि उन्होंने 17वीं लोकसभा में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की।
डेलकर को 1989, 1991 और 1996 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार और 1998 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में सफलता मिली थी। वह दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए और 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार तो बने लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।