मोहन भागवत ने हिंदू को बताया देशभक्त, तो ओवैसी ने कहा- गोडसे के बारे में क्या कहना है?
By अनुराग आनंद | Published: January 2, 2021 12:08 PM2021-01-02T12:08:18+5:302021-01-02T12:11:04+5:30
मोहन भागवत के बयान को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह आरएसएस की अज्ञानी और बेतुकी विचारधारा को प्रदर्शित करता है।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक किताब का लोकार्पण करते हुए कहा कि अगर कोई हिन्दू है तो वह देशभक्त ही होगा, क्योंकि यही उसके मूल में है और यही प्रकृति भी है। इतना ही नहीं आगे भागवत ने दावा करते हुए कहा कि परिस्थिति चाहे जो भी हो लेकिन कोई हिन्दू कभी भी देशद्रोही नहीं हो सकता है।
इस कार्यक्रम के दौरान अपने भाषण में भागवत ने महात्मा गांधी के द्वारा की गयी एक टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि वे मानते थे उनकी देशभक्ति का श्रोत उनका धर्म ही है। भागवत के इस बयान पर सांसद व AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर जोरदार हमला किया है।
सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मोहन भागवत के बयान पर ये सवाल पूछा है-
मोहन भागवत की इस टिप्पणी पर एआईएमआईएम नेता और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करते हुए पूछा कि आप गांधी जी के हत्यारे गोडसे के बारे में , नेल्ली दंगों , 1984 के सिख दंगों और 2002 के गुजरात दंगों के बारे में क्या मानते हैं?
ओवैसी ने आगे कहा कि अधिकांश भारतीय बिना धर्म और पंथ को सोचे बगैर देशभक्त हैं। मोहन भागवत के बयान को लेकर उन्होंने आगे कहा कि यह आरएसएस की अज्ञानी और बेतुकी विचारधारा को प्रदर्शित करता है।
Will Bhagwat answer: What about Gandhi's killer Godse? What about the men responsible for Nellie massacre, anti-1984 anti-Sikh & 2002 Gujarat pogroms?
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) January 1, 2021
It's rational to assume that most INDIANS are patriots regardless of their faith. It's only in RSS's ignorant ideology....[1/2] https://t.co/fZv3GpmlIg
एक पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में पहुंचे थे मोहन भागवत-
बता दें कि मोहन भागवत शुक्रवार को जेके बजाज और एम डी श्रीनिवास लिखित पुस्तक "मेकिंग आफ ए हिन्दू पेट्रियट: बैकग्राउंड आफ गांधीजी हिन्द स्वराज" का लोकार्पण करने पहुंचे थे। इसी दौरान अपने भाषण में उन्होंने जो कहा उसपर अब ओवैसी ने हमला करते हुए सवाल पूछा है।
दरअसल, कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि किताब के नाम और मेरा उसका विमोचन करने से अटकलें लग सकती हैं कि यह गांधी जी को अपने हिसाब से परिभाषित करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि महापुरुषों को कोई अपने हिसाब से परिभाषित नहीं कर सकता। यह किताब व्यापक शोध पर आधारित है और जिनका इससे विभिन्न मत है वह भी शोध कर लिख सकते हैं।