पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी सोमवार (26 मार्च) शाम दिल्ली पहुँची। माना जा रहा है कि ममता केंद्र समेत डेढ़ दर्जन से ज्यादा राज्यों में काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ लोक सभा चुनाव 2019 में एक साझा मोर्चा बनाने की संभावनाओं पर अन्य दलों से चर्चा करेंगी। ममता बनर्जी मंगलवार (27 मार्च) को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार द्वारा आयोजित डिनर पार्टी में शामिल होने के लिए दिल्ली आई हैं। ममता बनर्जी दिल्ली में चार दिन तक रहेंगी। सीएम ममता ने इसे "निजी यात्रा" बताया है लेकिन माना जा रहा है कि उनका मकसद लोक सभा चुनाव 2019 से पहले गैर-बीजेपी दलों के महागठबंधन पर चर्चा करना है। डिनर पार्टी में आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव, हाल ही में बीजेपी से अलग हुई तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और शिव सेना के नेता भी आमंत्रित थे। ममता बनर्जी कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात करेंगी। हालांकि सीएम ममता के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं आई है।
एक कांग्रेस नेता ने मीडिया को बताया कि सोनिया गांधी ने ममता बनर्जी को मुलाकात का निमंत्रण भेजा था जिसे टीएमसी प्रमुख ने स्वीकार कर लिया। इससे पहले ममता बनर्जी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि ममता ने राव और पटेल से भी महागठबंधन की संभावनाओं पर ही चर्चा की। हालांकि सभी नेताओं ने इससे इनकार किया है।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अगले साल मई में अपना पाँच साल पूरा करने वाली है। साल 2014 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी नीत एनडीए ने पूर्ण बहुमत हासिल किया था। कुछ उपचुनावों में मिली हार के बावजूद अभी भी एनडीए दलों के पास 315 लोक सभा सीटें हैं। एनडीए में करीब 47 छोटे-बड़े दल शामिल हैं। केंद्र समेत देश के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बीजेपी या बीजेपी गठबंधन की सरकार है। बीते चार सालों में बीजेपी ने पहली बार हरियाणा, जम्मू-कश्मीर असम, मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा जैसे राज्यों में सरकार बनायी।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर संसदीय क्षेत्र और बिहार के अररिया संसदीय क्षेत्र के लिए हुए उप-चुनाव में बीजेपी को मिली हार से विपक्षी दल उत्साहित हैं। यूपी में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। वहीं अररिया में राजद और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।