migrant crisis: पटरियों पर रोटी के टुकड़े बिखरे पड़े, मालगाड़ी से कट कर मर जाना हृदय विदारक और कड़वी सच्चाई, शिवसेना ने बोला हमला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 9, 2020 09:50 PM2020-05-09T21:50:38+5:302020-05-09T21:50:38+5:30

शिवसेना ने केंद्र सहित राज्य सरकार पर हमला बोला है। लोग मर रहे हैं और देश की सरकार सो रही है। आखिरकार ये गरीब कब तक मरते रहेंगे। ये भूख से नहीं मरे सरकार के कारण इनकी मौत हुई।

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पटरियों पर रोटी के टुकड़े बिखरे पड़े थे, जहां मध्य प्रदेश लौटने के दौरान थकान के चलते प्रवासी मजदूर सो गये थे। (file photo)

Highlightsसरकार उन्हें अपने मूल निवास स्थान वापस जाने देने की इजाजत देने की नहीं सोच रही है, ना ही उसने उनके भोजन की कोई व्यवस्था की हैअधिकारियों को कोरोना वायरस महामारी को लेकर लॉकडाउन लागू करने से पहले गरीबों की समस्याओं को ध्यान में रखना चाहिए था।

मुंबईः शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में 16 प्रवासी मजदूरों की शुक्रवार तड़के मालगाड़ी से कट कर मौत होने के लिये ‘‘सरकार’’ जिम्मेदार है।

हालांकि, मुखपत्र में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उसने इस हादसे के लिये भाजपा नीत केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है, या फिर शिवसेना नीत ‘महाराष्ट्र विकास अघाड़ी’ गठबंधन सरकार को। संपादकीय में कहा गया है, ‘‘सरकार उन्हें अपने मूल निवास स्थान वापस जाने देने की इजाजत देने की नहीं सोच रही है, ना ही उसने उनके भोजन की कोई व्यवस्था की है।’’ इसमें कहा गया है कि अधिकारियों को कोरोना वायरस महामारी को लेकर लॉकडाउन लागू करने से पहले गरीबों की समस्याओं को ध्यान में रखना चाहिए था।

संपादकीय में कहा गया है कि पटरियों पर रोटी के टुकड़े बिखरे पड़े थे, जहां मध्य प्रदेश लौटने के दौरान थकान के चलते प्रवासी मजदूर सो गये थे। उन लोगों का मालगाड़ी से कट कर मारा जाना हृदय विदारक और कड़वी सच्चाई को प्रदर्शित करता है। इसमें कहा गया है, ‘‘मजदूरों का स्वास्थ्य ठीक था और उनमें कोरोना वायरस संक्रमण के कोई लक्षण नहीं थे लेकिन फिर भी उनकी मौत हो गई।

उनकी मौत के लिये सरकार जिम्मेदार है।’’ मुखपत्र में कहा गया है, ‘‘लॉकडाउन लोगों को कोरोना वायरस से बचाने के लिये सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लागू किया गया। लेकिन गरीब मजदूर लॉकडाउन के चलते भूख से मर रहे हैं।’’ इसमें कहा गया है कि पटरियों पर जिन मजदूरों की मौत हुई वे महामारी के पीड़ित हैं, ना कि किसी हादसे के।

संपादकीय में कहा गया है कि प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में है। इसमें कहा गया है, ‘‘लॉकडाउन के चलते, व्यापार एवं उद्योग बंद हो गये हैं और श्रमिक अपने-अपने घर लौटना चाहते हैं। परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं होने के चलते वे लोग छोटे बच्चों के साथ पैदल ही निकल रहे हैं और सरकार यह सब अपनी आंखों से देख रही है।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘यह देखना दुखद है कि कोई मां एक हाथ में सामान लिये और दूसरे हाथ से बच्चे को उठाये हुए 1600 किमी दूर स्थित गंतव्य पहुंचने को लेकर पैदल ही चल रही है।’’ गौरतलब है कि महाराष्ट्र में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस की गठबंधन सरकार है। 

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