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शिवराज सिंह चौहानः सियासी समय मुश्किल, मगर अक्टूबर-नवंबर में चुनाव हुए तो फायदे में रहेंगे!

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: August 25, 2020 15:21 IST

गुरु की महादशा में ही शिवराज सिंह चौहान का सियासी सितारा चमका था और वे मध्य प्रदेश में लंबे समय तक शिव-राज कायम करने में कामयाब रहे थे.

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ठळक मुद्देप्रचलित कुण्डली में गुरु वृश्चिक राशि में है, जो गुरु की मित्र राशि है. गुरु की दृष्टि ग्यारहवें, पहले और तीसरे पराक्रम भाव पर है. भविष्य में होनेवाले विधानसभा उप-चुनाव में यदि जरूरी जीत हासिल नहीं होती है, तो एमपी की सियासी तस्वीर एक बार फिर बदल सकती है. लिहाजा यदि 28 सितम्बर से 15 नवम्बर 2020 के बीच उप-चुनाव हुए तो उनके सियासी लाभ की संभावना प्रबल रहेगी.

भोपालः मध्य प्रदेश में सियासी जोड़तोड़ की बदौलत शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री तो बन गए हैं, लेकिन इस बार की सियासी पारी उनके लिए पहले जैसी आसान नहीं है, उनके सितारे कहते हैं कि वर्ष 2020 और 2021 में तो सियासी हालात ऐसे ही बने रहेंगे, किन्तु मार्च 2022 से उनके सितारे बदलेंगे और वे बेहतर स्थिति में होंगे, अलबत्ता विधानसभा चुनाव वर्ष 2023 फिर से सियासी उलझने पैदा करेगा.

उनकी प्रचलित कुण्डली में गुरु वृश्चिक राशि में है, जो गुरु की मित्र राशि है. गुरु की दृष्टि ग्यारहवें, पहले और तीसरे पराक्रम भाव पर है. गुरु की महादशा में ही शिवराज सिंह चौहान का सियासी सितारा चमका था और वे मध्य प्रदेश में लंबे समय तक शिव-राज कायम करने में कामयाब रहे थे.

अभी, वे मुख्यमंत्री तो बन गए हैं, लेकिन सियासी संग्राम खत्म नहीं हुआ है. निकट भविष्य में होनेवाले विधानसभा उप-चुनाव में यदि जरूरी जीत हासिल नहीं होती है, तो एमपी की सियासी तस्वीर एक बार फिर बदल सकती है. सितंबर- 2020 के आखिरी दिनों से वर्षफल की गुरु की दशा के कारण उनका बेहतर समय आ रहा है, लिहाजा यदि 28 सितम्बर से 15 नवम्बर 2020 के बीच उप-चुनाव हुए तो उनके सियासी लाभ की संभावना प्रबल रहेगी.

सातवे दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री बनने के साथ ही शिवराज सिंह चौहान की सियासी पारी शुरू हुई. शिवराज सिंह एमपी मे सबसे लम्बे समय तक मुख्यमंत्री के रूप मे कार्यभार संभालने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद वे मुख्यमंत्री नहीं बन पाए, परन्तु लगभग 15 माह के बाद पूर्व कांग्रेसी ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के विधायकों के समर्थन से बतौर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, उन्होंने चौथी बार शपथ ली है. हालांकि, मुख्यमंत्री का पद उनके पास रहेगा या नहीं, इसका पक्का फैसला उप-चुनाव के नतीजों के बाद ही होगा!  

टॅग्स :मध्य प्रदेशभोपालशिवराज सिंह चौहानउपचुनावकांग्रेसभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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