कैराना सांसद हुकुम सिंह की अंतिम यात्रा में पहुंचे सीएम योगी, समर्थकों ने नम आंखों से दी विदाई
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: February 4, 2018 13:32 IST2018-02-04T08:06:45+5:302018-02-04T13:32:58+5:30
बीजेपी से कैराना सांसद हुकुम सिंह का अंतिम संस्कार सुबह 11 बजे कैराना मायापुर फार्म हाउस में किया गया। शामिल होंगे कई दिग्गज नेता।

कैराना सांसद हुकुम सिंह की अंतिम यात्रा में पहुंचे सीएम योगी, समर्थकों ने नम आंखों से दी विदाई
कैराना से बीजेपी सांसद हुकुम सिंह का शनिवार देर शाम नोएडा के एक अस्पताल में निधन हो गया। वो 79 वर्ष के थे। उनके निधन की खबर से सियासी हलको में शोक व्याप्त है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट हुकुम सिंह के निधन पर दुख व्यक्त किया है। दिवंगत हुकुम सिंह का पार्थिव शरीर शामली पहुंचा, जहां सुबह 11 बजे तक अंतरिम दर्शन के लिए रखा गया। 11 बजे के बाद कैराना स्थित मायापुर फार्म हाउस में उनका अंतिम संस्कार किया गया। बीजेपी सांसद के अंतिम दर्शन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई दिग्गज नेता पहुंचे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट में लिखा, 'कैराना से बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन से दुखी हूं। उन्होंने हमेशा किसानों और गरीबों के हितों की बात की। मेरी संवेदनाएं शोकाकुल परिवार के साथ हैं।'
Anguished by the demise of MP and veteran leader from Uttar Pradesh, Shri Hukum Singh Ji. He served the people of UP with great diligence and worked for the welfare of farmers. My thoughts are with his family and supporters in this hour of grief.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 3, 2018
क्यों चर्चित रहे हुकुम सिंह?
5 अप्रैल 1938 को मुजफ्फरनगर जिले के कैराना में जन्में हुकुम सिंह हिंदु के पलायन का मुद्दा उठाकर चर्चा में आए थे। उनका नाम मुजफ्फरनगर दंगों में भी उछाला गया। हुकुम सिंह ने करियर की शुरुआत भारतीय सेना से की थी। उसके बाद फौज से इस्तीफा देकर उन्होंने वकील शुरू की। वहीं बार एसोसिएशन का चुनाव जीतकर राजनीतिक सफर की शुरुआत कर दी। हुकुम सिंह कई बार विधायक रहे।
हुकुम सिंह ने अपने कांग्रेस के टिकट पर दो बार विधायक चुने गए। 1995 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े और उसके बाद चार बार विधायक चुने गए। 2009 में बीजेपी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव हार गए लेकिन 2014 में फिर बड़ी जीत दर्ज की। कई बार विधायक रहने और संगठन में काम करने के बावजूद उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।