देवघर जमीन मामलाः बुरे फंसे गोड्डा भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, जानिए क्या है पूरा मामला

By एस पी सिन्हा | Updated: July 16, 2020 21:25 IST2020-07-16T21:24:13+5:302020-07-16T21:25:16+5:30

भागलपुर जिले के कहगांव अनुमंडल के भवानीपुर गांव निवासी निशिकांत दुबे की आज की चमक देख गांव वाले भी दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं. लेकिन आज निशिकांत दुबे चर्चा का विषय बने हुए हैं. ग्रामीण बताते हैं कि 1990 से पहले उनके पिता राधे श्याम दुबे के नाम से गांव में दो बीघा जमीन भी नहीं था.

jharkhand Godda BJP MP Nishikant Dubey wrote letter governor deoghar land purchase dispute | देवघर जमीन मामलाः बुरे फंसे गोड्डा भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, जानिए क्या है पूरा मामला

भाजपा की संगत में आते ही अब निशिकांत ने वह कमाल कर दिखाया, जो गांव के अच्छे-अच्छे संपन्न नहीं कर सके. (file photo)

Highlightsराधे श्याम गांव के तत्कालीन मुखिया उपेन्द्र मंडल के मिल में काम कर अपना घर परिवार चलाया करते थे. भागलपुर शहर में माल, कई प्लाट के अलावे कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान के मालिक बन बैठे हैं निशिकांत. बहुचर्चित सृजन घोटाले में भी उनका नाम लिया जाता है. हालांकि अभी तक सीबीआई के जांच में उनके नामों का जिक्र सामने नहीं आया है. 

पटनाः भाजपा तेरी महिमा अपरंपार, निर्धन को भी बनवा दिया धनवान. भाजपा की संगत में आकर गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे आज अरबपति हो गये. लेकिन सन 1990 से पहले उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नही थी की घर का खर्चा भी चल सके.

भागलपुर जिले के कहगांव अनुमंडल के भवानीपुर गांव निवासी निशिकांत दुबे की आज की चमक देख गांव वाले भी दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं. लेकिन आज निशिकांत दुबे चर्चा का विषय बने हुए हैं. ग्रामीण बताते हैं कि 1990 से पहले उनके पिता राधे श्याम दुबे के नाम से गांव में दो बीघा जमीन भी नहीं था.

उसकी उपज भी इतनी नहीं थी कि घर का खर्चा सही ढंग से चल सके. ऐसे में राधे श्याम गांव के तत्कालीन मुखिया उपेन्द्र मंडल के मिल में काम कर अपना घर परिवार चलाया करते थे. उसके बाद वर्ष 1988-89 में वह अंतिचक स्थित एक प्राइवेट स्कूल में मात्र 100 मासिक पर नौकरी भी किया करते थे. लेकिन भाजपा की संगत में आते ही अब निशिकांत ने वह कमाल कर दिखाया, जो गांव के अच्छे-अच्छे संपन्न नहीं कर सके.

गांव के लोग यह दबे जुबान यह पूछते हैं कि आज राधे श्याक और उनके बेटे निशिकांत के पास इतनी अकूत संपत्ति कहां से आई? जानकार बताते हैं कि भागलपुर शहर में माल, कई प्लाट के अलावे कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान के मालिक बन बैठे हैं निशिकांत. यही नहीं भागलपुर में हुए बहुचर्चित सृजन घोटाले में भी उनका नाम लिया जाता है. हालांकि अभी तक सीबीआई के जांच में उनके नामों का जिक्र सामने नहीं आया है. 

पुलिस ने गोड्डा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे नहीं बल्कि सिर्फ उनकी पत्नी अनामिका गौतम के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की

इस बीच देवघर में हुए जमीन घोटाला मामले में देवघर पुलिस ने गोड्डा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे नहीं बल्कि सिर्फ उनकी पत्नी अनामिका गौतम के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की है. यह प्राथमिकी देवघर के तिवारी चौक के नजदीक एक जमीन लेने के मामले में हुई है.

शिकायतकर्ता विष्णुकांत झा ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दिए गए आवेदन में भाजपा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे, उनके करीबी सहायक शेषाद्री दुबे समेत और कई लोगों का नाम दिया था. देवघर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दिए गए आवेदन के साथ मिले दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद सांसद को नामजद नहीं किया है.

देवघर के पुलिस अधीक्षक पीयूष पांडेय ने कहा कि किसी भी दस्तावेज में सांसद का हस्ताक्षर नहीं है. इसलिए उन्हें नामजद नहीं किया गया है. प्राथमिकी में की गई शिकायत के आधार पर गहराई से अनुसंधान किया जाएगा. न निर्दोष पर कार्रवाई होगी, न दोषी को छोड़ा जाएगा. यदि कोई साजिशकर्ता है, तो उसे जरूर सजा दिलायी जाएगी. 

विष्णुकांत झा ने सोमवार को देवघर नगर थाने में आवेदन दिया था

यहां उल्लेखनीय है कि बम्पास के रहने वाले विष्णुकांत झा ने सोमवार को देवघर नगर थाने में आवेदन दिया था. इसमें कहा गया कि तिवारी चौक के नजदीक एलओकेसी धाम के बडे़ भूखंड की 29 अगस्त 2019 में सांसद की पत्नी के नाम पर रजिस्ट्री हुई है. निबंधन संख्या 770 है. शिकायत में कहा गया कि जमीन के मामले में सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने अपने प्रभाव का गलत तरीके से इस्तेमाल किया.

रजिस्ट्रार, सब-रजिस्ट्रार, अंचलाधिकारी से दस्तावेजों में गड़बड़ कराया. इसमें अनामिका गौतम, शेषाद्री दुबे व अनामिका गौतम के अधिवक्ता ने भी मिलीभगत कर शपथपत्र में छेड़छाड़ की है. शिकायत में कहा गया कि जमीन की सरकारी दर के अनुसार 20 करोड़ रुपये की है, जबकि सिर्फ तीन करोड में जमीन की रजिस्ट्री करा ली गई है.

जमीन लेने के एवज में राशि का भुगतान भी नकद किया गया है, जो सरकारी नियमों के खिलाफ है. शिकायत में कहा गया कि यह मनी लांड्रिंग का मामला है. इससे झारखंड सरकार के राजस्व का भी नुकसान हुआ है. इस मामले में भादवि की इन धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है-

प्राप्त जानकारी के अनुसार धारा 420- किसी को धोखा देना, बहुमूल्य संपत्ति के मुहरबंद या हस्ताक्षरित दस्तावेजों में छेडछाड या नष्ट करना आदि. यह गैर जमानती धारा है. अधिकतम सात साल तक कारावास और आर्थिक दंड.  धारा 467 - पुत्र के दत्तक ग्र्रहण के प्राधिकार, मूल्यवान संपत्ति के दस्तावेज, ऐसे दस्तावेज जिसका अभिप्राय चल अचल संपत्ति से हो, उसमें छेड़छाड़ करना.

यह भी गैर जमानती धारा है. इसमें आजीवन कारावास का भी प्रावधान और अर्थदंड भी शामिल है. धारा 468- किसी दस्तावेज का छल करने के लिए उपयोग करना. अधिकतम सात साल की सजा और अर्थदंड का प्रावधान है. धारा 120 बी- आपराधिक साजिश करना. अपराध की प्रवृति के मुताबिक कारावास की सजा का प्रावधान है. जबकि धारा 34- एक आपराधिक कृत्य कई व्यक्ति समान इरादे से किया जाए, तो यह धारा लगाई जाती है.

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