चुनावी रणनीतिकार से JDU के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने प्रशांत किशोर पर्दे से हैं गायब, पार्टी से उनका पत्ता हो सकता है साफ?

By एस पी सिन्हा | Published: March 17, 2019 07:21 PM2019-03-17T19:21:16+5:302019-03-17T19:21:16+5:30

कुछ दिनों पहले प्रशांत किशोर के एक बयान ने जदयू में भूचाल ला दिया था और पार्टी के लगभग सभी वरिष्ठ नेता प्रशांत किशोर से खफा हो गए थे. हालांकि प्रशांत किशोर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का काफी करीबी माना जाता है. पर इस बार लगता है नीतीश भी उन्हें नहीं बचा पाएंगे. 

jdu ignoring prashant kishor in lok sabha election 2019 | चुनावी रणनीतिकार से JDU के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने प्रशांत किशोर पर्दे से हैं गायब, पार्टी से उनका पत्ता हो सकता है साफ?

चुनावी रणनीतिकार से JDU के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने प्रशांत किशोर पर्दे से हैं गायब, पार्टी से उनका पत्ता हो सकता है साफ?

लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में भी चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है. लेकिन, चुनावी रणनीतिकार से जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने प्रशांत किशोर का कहीं अता-पता नही चल पा रहा है. चुनावी सरगर्मी में वह पर्दे से बाहर हैं. ऐसे में यहां कयासों के दौर जारी हो गया है. खबरें आ रही हैं कि प्रशांत किशोर का पत्ता जदयू से साफ हो सकता है?   

यहां बता दें कि कुछ दिनों पहले प्रशांत किशोर के एक बयान ने जदयू में भूचाल ला दिया था और पार्टी के लगभग सभी वरिष्ठ नेता प्रशांत किशोर से खफा हो गए थे. हालांकि प्रशांत किशोर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का काफी करीबी माना जाता है. पर इस बार लगता है नीतीश भी उन्हें नहीं बचा पाएंगे. 

एक तरफ जहां लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी राजनीतिक पार्टियों में यूं तो हर दिन कुछ ना कुछ घमासान हो रहा है. वहीं इस वक्त उनके गायब होने के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. दरअसल, प्रशांत किशोर ने कहा था कि वह भाजपा के साथ दोबारा गठजोड़ करने के अपनी पार्टी के अध्यक्ष नीतीश कुमार के तरीके से सहमत नहीं हैं और महागठबंधन से निकलने के बाद भगवा पार्टी नीत राजग में शामिल होने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री को आदर्श रूप से नए सिरे से जनादेश हासिल करना चाहिए था. 

चुनावी रणनीतिकार से नेता बने किशोर ने एक इंटरव्यू में यह बात कही थी. इस बयान से साफ है कि महागठबंधन से नाता तोड़कर भाजपा के साथ आने के नीतीश कुमार के फैसले से प्रशांत किशोर खुश नहीं हैं. दरअसल अपने अनुभवों को सांझा करते कही गई प्रशांत किशोर की यह बात जदयू के वरिष्ठ नेताओं को रास नहीं आई और इस बयान को लेकर जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने प्रशांत किशोर को जमकर खरी-खोटी सुनाईं और कहा कि कोई मुगालते में न रहें, सब लोग अपनी-अपनी क्षमता से जीतकर आते हैं. 

यहां बता दें कि प्रशांत किशोर ने 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए प्रचार-प्रसार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए काम किया था और 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए रणनीति बनाई थी. लेकिन, इस बार उनकी भूमिका क्या होगी इस पर सभी की बिगाहें टिकी हुई हैं.

 

Web Title: jdu ignoring prashant kishor in lok sabha election 2019