Inside Story: बागी अजित पवार का मन बदलने में कैसे कामयाब हुए शरद पवार!

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 27, 2019 08:10 AM2019-11-27T08:10:55+5:302019-11-27T08:10:55+5:30

सूत्रों के मुताबिक अजित को मनाने में शरद पवार की पत्नी प्रतिभा पवार का भी अहम योगदान रहा.

Inside Story: How Sharad Pawar managed to change rebel Ajit Pawar's mind! | Inside Story: बागी अजित पवार का मन बदलने में कैसे कामयाब हुए शरद पवार!

फाइल फोटो

Highlights प्रतिभा पवार ने भी अजित से परिवार के साथ बने रहने को कहा. अजित को राजी करने में शरद पवार ने पारिवारिक दबाव के साथ ही राजनीतिक सूझबूझ का भी परिचय दिया.

अजित पवार को मनाने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की तरफ से पहले से ही कोशिशें जारी थीं. महाराष्ट्र के सियासी घमासान में चाणक्य की भूमिका निभा रहे NCP प्रमुख शरद पवार आखिरकार अजित पवार का मन बदलने में कामयाब रहे. आइए जानते हैं कि कैसे चाचा शरद ने भतीजे अजित को अपने साथ आने पर मजबूर किया.

परिवार का दबाव आया काम

इस पूरे घटनाक्रम में पारिवारिक दबाव को अहम माना जा रहा है. दरअसल अजित पवार ने जब 23 नवंबर की सुबह शपथ ली, उसके बाद से ही पवार परिवार के लोग अजित से बातचीत कर रहे थे. उन्हें परिवार में बिखराव से बचने और पार्टी में बने रहने के लिए मनाया जा रहा था. इस काम में पहले उनके भाई श्रीकृष्ण पवार आगे आए. इसके बाद सुप्रिया सुले के पति सदानंद भालचंद्र सुले ने अजित से संपर्क किया.

उन्होंने मुंबई के एक पांच सितारा होटल में अजित से मुलाकात की. मंगलवार आते-आते खुद शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने अजित से बातचीत की. अजित को पार्टी और परिवार का साथ देने के लिए मनाया गया. सूत्रों के मुताबिक अजित को मनाने में शरद पवार की पत्नी प्रतिभा पवार का भी अहम योगदान रहा. प्रतिभा ने भी अजित से परिवार के साथ बने रहने को कहा.

परिवार के दबाव का ही असर था कि सोमवार को फड़नवीस की बैठक में अजित की कुर्सी खाली नजर आई. सूत्रों के मुताबिक शरद पवार ने अजित से कहा था कि वह माफ करने को तैयार हैं, लेकिन पहले इस्तीफा देना होगा.

पार्टी से नहीं निकालकर रास्ता खुला रखा

अजित को राजी करने में शरद पवार ने पारिवारिक दबाव के साथ ही राजनीतिक सूझबूझ का भी परिचय दिया. पवार ने अजित को विधायक दल के नेता पद से तो हटा दिया, लेकिन उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता नहीं दिखाया. ऐसा करके शरद ने अजित के लिए दरवाजे खुले रखे. उन्होंने संकेत दिया कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है और अजित अगर मन बदलते हैं तो उन्हें माफ किया जा सकता है. पवार ने साथ ही कोई कड़वाहट बढ़ाने वाली टिप्पणी भी नहीं की.

बगावत करते हुए अजित के उपमुख्यमंत्री बनने के बावजूद शरद ने सिर्फ इतना कहा कि यह अजित का निजी फैसला है और पार्टी से इसका कोई लेना-देना नहीं है.

राकांपा के बड़े नेताओं को दी जिम्मेदारी

शरद पवार ने भतीजे की घर वापसी के लिए अपनी पार्टी के बड़े नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी. पिछले दरवाजे से ये नेता लगातार अजित से बातचीत करते रहे. पहले पवार ने संदेशवाहक के रूप में जयंत पाटिल को अजित के पास भेजा. इसके बाद भी बात नहीं बनी तो उन्होंने प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल को मनाने के काम में लगाया. पटेल, भुजबल, जयंत पाटिल और वलसे पाटिल समेत कई बड़े राकांपा नेता अजित से संपर्क करते रहे और आखिरकार मराठा छत्रप शरद पवार ने बाजी पलट दी.

Web Title: Inside Story: How Sharad Pawar managed to change rebel Ajit Pawar's mind!

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