राजस्थान में सियासी उठापटक के बीच नेता प्रतिपक्ष ने केंद्र सरकार से की ये मांग, कहा- राजस्थान पुलिस के भरोसे ना छोड़ें कानून व्यवस्था
By सुमित राय | Published: July 24, 2020 05:37 PM2020-07-24T17:37:04+5:302020-07-24T18:17:09+5:30
राजस्थान में जारी सियासी उठापटक के बीच नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने केंद्र सरकार से सीआरपीएफ तैनात करने की मांग की है और कहा है कि कानून व्यवस्था को राजस्थान पुलिस के भरोसे ना छोड़ें।
राजस्थान में जारी सियासी उठापटक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुक्रवार को कांग्रेस विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे और राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की। इस दौरान विधायक ने विधानसभा सत्र नहीं बुलाए जाने को लेकर राजभवन में धरने पर बैठ गए और वी वॉन्ट जस्टिस के नारे लगाए।
कांग्रेस विधायकों द्वारा ऐसा किए जाने पर राजस्थान विधानसभा नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने सवाल उठाया है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि आज मुख्यमंत्री ने जो रास्ता ढूंढा है वो इस गरिमामय पद को गिराने वाला ही साबित होगा।
गुलाब चंद कटारिया ने कहा, "मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री स्वयं अपने जाल में फंस गए। प्रारंभ से अब तक इनको निकलने का कोई रास्ता नहीं मिला और आज जो रास्ता ढूंढा है वो इस गरिमामय पद को गिराने वाला ही साबित होगा।"
उन्होंने आगे कहा, "मैं केंद्र सरकार से आग्रह करता हूं कि समय की स्थिति को देखते हुए राजस्थान की पुलिस के भरोसे कानून व्यवस्था को न छोड़कर सीआरपीएफ (CRPF) को निश्चित रुप से यहां पोस्ट करना चाहिए।"
I urge the central govt to not leave the law and order in the hands of #Rajasthan Police and deploy CRPF here so that the sanctity of this constitutional post is upheld. Those protesting at Raj Bhawan should be driven out & all legal remedies should be used for it: GC Kataria https://t.co/v7a0QYu95q
— ANI (@ANI) July 24, 2020
राजभवन पहुंचे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके समर्थक विधायक
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने समर्थक विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे। वह अपने समर्थकों की परेड राज्यपाल कलराज मिश्र के सामने कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के आग्रह के बावजूद ‘ऊपर से दबाव’ के कारण राज्यपाल विधानसभा का सत्र नहीं बुला रहे हैं। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनके पास बहुमत है और विधानसभा में “दूध का दूध और पानी का पानी” हो जाएगा।
गहलोत ने कहा, 'हमारा मानना है कि ऊपर से दबाव के कारण वह (राज्यपाल) अभी विधानसभा सत्र बुलाने के लिए निर्देश नहीं दे रहे हैं। इस बात का हमें बहुत दुख है। जबकि हम सत्र बुलाना जाना चाहते हैं।' उन्होंने कहा, 'कैबिनेट के फैसले के बाद हमने माननीय राज्यपाल महोदय को पत्र लिखकर आग्रह किया कि हम चाहते हैं कि विधानसभा का सत्र बुलाएं और वहां राजनीतिक हालात, कोरोना व लॉकडाउन के बाद के आर्थिक हालात पर चर्चा हो। हमें उम्मीद थी कि वह रात को ही विधानसभा सत्र बुलाने का आदेश जारी कर देंगे। रात भर इंतजार किया लेकिन अभी तक उनका कोई जवाब नहीं आया।'