जीएसटीः केंद्र और राज्यों में ठनी, सीएम गहलोत बोले-वायदे पूरे करे, अर्थव्यवस्था का प्रबंधन ठीक से हो
By धीरेंद्र जैन | Published: September 8, 2020 08:23 PM2020-09-08T20:23:05+5:302020-09-08T20:23:05+5:30
केंद्र सरकार एवं राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों में विश्वास कायम रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र में मुख्यमंत्री ने राज्यों को जीएसटी कम्पनसेशन के भुगतान में आ रही कठिनाइयों की ओर ध्यान आकर्षित कराया है।
जयपुरः राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से जीएसटी को लागू करते समय राज्य सरकारों से किए गए वायदों को पूरा करने एवं केंद्र द्वारा लागू किए जा रहे कुछ करों का अधिकार राज्य सरकारों के लिए छोड़ने का आग्रह किया है।
उन्होंने केंद्र सरकार एवं राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों में विश्वास कायम रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र में मुख्यमंत्री ने राज्यों को जीएसटी कम्पनसेशन के भुगतान में आ रही कठिनाइयों की ओर ध्यान आकर्षित कराया है।
उन्होंने कहा है कि जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक दिनांक 27 अगस्त 2020 में केंद्र सरकार द्वारा यह सुझाव दिया गया था कि राज्य द्वारा जीएसटी कम्पनसेशन में कमी की पूर्ति ऋण के माध्यम से की जाए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि इसकी पूर्ति कम्पनसेशन फंड से की जाए और इस कमी को वित्त पोषित करने की केंद्र सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है।
यह उस संविधान संशोधन की मूल भावना के विपरीत है, जिसके तहत राज्यों द्वारा कुछ करों को लागू करने के अपने संवैधानिक अधिकारों को केंद्र सरकार के पक्ष में दे दिया गया था। उन्होंने जीएसटी काउंसिल की पूर्व में आयोजित बैठकों का हवाला देते हुए बताया कि इन बैठकों में अनेक निर्णय लिए गए थे, जिनमें राजस्व हानि का शत-प्रतिशत कम्पनसेशन देने, इसे पांच वर्ष की अवधि (2017-2022) तक देने, केंद्र सरकार द्वारा सम्पूर्ण राशि का भुगतान करने की जिम्मेदारी और कमी की स्थिति में केंद्र सरकार द्वारा ऋण लिए जाने के निर्णय शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि जीएसटी केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच हुए सामूहिक निर्णयों पर आधारित है, जो कि संविधान संशोधन और कम्पनसेशन एक्ट से बंधा हुआ है। मुख्यमंत्री पत्र में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रबंधन करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, क्योंकि जब कर संग्रहण अधिक होता है तो उसका लाभ केंद्र सरकार को मिलता है।
इसलिए अर्थव्यवस्था में जीएसटी संग्रहण में कमी आने पर केंद्र सरकार द्वारा ही इसकी जिम्मेदारी उठाया जाना अपेक्षित है। केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी में कमी का आकलन गत वित्तीय वर्ष के मुकाबले विकास की दर 10 प्रतिशत मानकर किया जा रहा है तथा बाकी जीएसटी संग्रहण कमी को कोरोना महामारी से जोड़कर प्रस्तुत किया जा रहा है। यह एकपक्षीय निर्णय है, जो केवल केंद्र सरकार के फायदे को ध्यान में रखकर लिया गया है, यह न्यायोचित नहीं है।