सीएम नीतीश के करीबी रामसेवक सिंह, कुशवाहा वोट पर नजर, खराब सेहत के कारण हटे वशिष्ठ नारायण
By एस पी सिन्हा | Published: January 9, 2021 07:36 PM2021-01-09T19:36:33+5:302021-01-09T19:48:55+5:30
बिहार के हथुआ से चार बार विधानसभा के सदस्य चुने गए रामसेवक सिंह कुशवाहा जाति से आते हैं. हथुआ विधानसभा कुशवाहा बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है.
पटनाः जदयू के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के खराब सेहत को देखते हुए बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रामसेवक सिंह को जनता दल यूनाइटेड का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है.
इससे पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह इस पद को संभाल रहे थे. बीते दिनों वशिष्ठ नारायण सिंह ने अपनी खराब सेहत का हवाला देकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से मुक्ति होने की इच्छा जाहिर की थी. हालांकि, तब नीतीश कुमार की पहल पर उन्होंने अपना फैसला टाल दिया था.
बिहार के हथुआ से चार बार विधानसभा के सदस्य चुने गए रामसेवक सिंह कुशवाहा जाति से आते हैं. हथुआ विधानसभा कुशवाहा बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है. रामसेवक सिंह की गिनती आम तौर पर कम बोलने वाले नेताओं में होती है. साफ सुथरी छवि के नेता होने के बावजूद उनके ऊपर हथुआ थाना में अपने विधासनभा क्षेत्र के एक युवक को बेरहमी से पीटने का आरोप है.
रामसेवक पूर्व में बलेसरा पंचायत के मुखिया भी रहे हैं
इस मामले में वे जेल भी जा चुके हैं. गोपालगंज जिले के चकागांव प्रखंड के असनंद टोला गांव के रहने वाले रामसेवक पूर्व में बलेसरा पंचायत के मुखिया भी रहे हैं. पूर्व समाज कल्याण मंत्री रामसेवक सिंह के दो भाई कारोबार संभालते हैं.
वहीं, उनके बडे़ भाई रामाश्रय सिंह खेती के साथ कारोबार और छोटे भाई राजेंद्र सिंह दवा का दुकान संभालते है. वहीं, उनका बड़ा बेटा पप्पू कुमार एमबीबीएस करने के बाद आइजीएमएस, पटना में पदस्थापित है. जबकि छोटा बेटा राजू कुमार एमबीबीएस में इंटर्नशिप कर रहा है. वहीं, पत्नी गृहणी हैं.
रामसेवक सिंह की छवि नीतीश कुमार के प्रति वफादार वाली है
रामसेवक सिंह की छवि नीतीश कुमार के प्रति वफादार वाली है. नीतीश कुमार के प्रति उनकी निष्ठा ही है की वे दो बार से लगातार सचेतक के पद पर बने रहे. रामसेवक सिंह जिस हथुआ विधानसभा क्षेत्र से आते है. उसी विधानसभा क्षेत्र में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का गांव फुलवरिया और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का सेलार कला गांव भी आता है.
रामसेवक सिंह तीन भाइयों में बीच के हैं. हथुआ स्थित गोपेश्वर कॉलेज से इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे खेती करने लगे थे. बाद में उन्होंने अपने पिता की दवा का कारोबार संभाल लिया. लेकिन वर्ष 1998 में वो जदयू नेता नीतीश कुमार के सानिध्य में आये और राजीनीति को अपना करियर बना लिया.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे विश्वासपात्र के रूप में संगठन के नीति निर्धारण में रामसेवक की मजबूत भूमिका रही है. विधानसभा में सतारूढ़ दल के सचेतक, झारखंड में जदयू का प्रदेश प्रभारी और जदयू के राष्ट्रीय सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाई है. हालांकि, झारखंड में भी जदयू का सिक्का नहीं चला.
आलोक कुमार सुमन की भारी जीत में भी रामसेवक सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा
बताया जाता है कि साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में जदयू प्रत्याशी डॉ. आलोक कुमार सुमन की भारी जीत में भी रामसेवक सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा. समाज कल्याण मंत्री रह चुके रामसेवक सिंह को लगातार चार बार चुनाव जीतने के बाद 2020 विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.
इस चुनाव में वे सरकार की साख को नहीं बचा पाये. रामसेवक के बारे में कहा जाता है कि वो लालू के गढ़ में भी राजद का झंडा बुलंद रखते हैं. रामसेवक सिंह की लोकप्रियता के सामने हर बार राजद को यहां हार की खानी पड़ती है. रामसेवक सिंह शुरू से नीतीश कुमार अनुयायी रहे हैं और उन्होंने कभी भी दल बदलने का काम नहीं किया.
विधायक से पहले रामसेवक बलेसरा पंचायत के मुखिया भी रहे हैं. मुखिया का चुनाव जितने के बाद रामसेवक दोबारा पीछे मुड़कर नहीं देखे. रामसेवक सिंह कुशवाहा जाति से आते हैं और हथुआ विधानसभा कुशवाहा बाहुल्य क्षेत्र है. रामसेवक सिंह की शिक्षा की बात करें तो स्नातक हैं और कम बोलने वाले नेताओ में उनकी गिनती होती है. वे साफ सुथरी छवि के नेता हैं.