Bihar assembly elections 2020: तीन चरणों में मतदान, एक अक्तूबर से नामांकन, टिकट की आस में योद्धा, दलों में ऊहापोह
By एस पी सिन्हा | Updated: September 26, 2020 17:39 IST2020-09-26T17:39:47+5:302020-09-26T17:39:47+5:30
बिहार की सत्ता के दावेदार दो बडे़ गठबंधन एनडीए और महागठबंधन के रणनीतिकारों ने अंदर- ही- अंदर जो युद्ध और योद्धाओं का समीकरण तय कर लिया हो पर, मतदाताओं के सामने अभी तक दोनों गठबंधन की तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हुई है. एनडीए में लोजपा को झोल अभी बना हुआ है.

एनडीए में दो पुराने दोस्त जदयू और भाजपा के साथ जीतन राम मांझी की पार्टी हम होगी. (file photo)
पटनाः बिहार में विधानसभा चुनाव कराने का चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है. तीन चरणों में मतदान होगा. छह दिन बाद एक अक्तूबर से नामांकन का पर्चा दाखिल होने लगेगा.
लेकिन अभी तक किसी दल में सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है. बिहार की सत्ता के दावेदार दो बडे़ गठबंधन एनडीए और महागठबंधन के रणनीतिकारों ने अंदर- ही- अंदर जो युद्ध और योद्धाओं का समीकरण तय कर लिया हो पर, मतदाताओं के सामने अभी तक दोनों गठबंधन की तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हुई है. एनडीए में लोजपा को झोल अभी बना हुआ है.
हालात ये हैं कि लोजपा और जदयू की तनातनी से एनडीए की सीटों के बंटवारे का फैसला सुलझ नहीं पाया है. लोजपा के तेवर जिस तरह से कडे़ दिख रहे हैं, उससे यह स्पष्ट होने लगा है कि वह एनडीए से बाहर होगी. ऐसी स्थिति में एनडीए में दो पुराने दोस्त जदयू और भाजपा के साथ जीतन राम मांझी की पार्टी हम होगी.
तिवारी ने कहा कि महागठबंधन में सीटों के बंटवारे में देर करने से नुकसान ही होगा
ऐसे में राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि महागठबंधन में सीटों के बंटवारे में देर करने से नुकसान ही होगा. उन्होंने कहा कि बिहार के चुनाव में अमूमन ऐसा होता रहा है कि नामांकन के पहले तक सीट फाइनल होता है, हालांकि यह सही नहीं है. शिवानंद तिवारी ने कहा कि यह केवल एक गठबंधन के साथ ही नहीं है. बिहार के सभी राजनीतिक दलों के गठबंधन के बीच कमोवेश यही नजारा है. तिवारी ने कहा कि राजनीति में सही नहीं होता है कि गठबंधन का जो आयाम है वह देर से आए.
उधर, महागठबंधन में उपेंद्र कुशवाहा के बाहर आने के बाद अब तक तस्वीर साफ नहीं हो पाया है. राजद और कांग्रेस दो बडी पार्टियों के साथ वाम दलों के भी आने की सूचना है. पर इन सब दलों के भीतर अब तक सीटों का पेच नहीं सुलझ पाया है. अब तक की स्थिति के अनुसार राजद के साथ कांग्रेस, वाम दल के भकपा और माकपा आ सकती है, पर कौन पार्टी कितने सीटों पर लड़ेगी, यह तय नहीं है.
लोग आजकल सिद्धांत की राजनीति नहीं करते हैं जो की राजनीति के लिए सही नहीं
ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा के सवाल पर शिवानंद तिवारी ने कहा कि लोग आजकल सिद्धांत की राजनीति नहीं करते हैं जो की राजनीति के लिए सही नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा हो या कोई अन्य दल सब अपने फायदे की बात सोचते हैं. एनडीए के अंदर अभी चिराग पासवान का ही यह तय नहीं है कि वह एनडीए के साथ चुनाव लड़ेंगे.
वाम दलों में हाल के दिनों में उबसे उर्वर भाकपा- माले महाठबंधन के फॉर्मूले से संतुष्ट नहीं है. उसे कम से कम पचास सीटों की दरकार है, जबकि महागठबंधन के सबसे बडे घटक राजद इसके लिए तैयार नहीं है. इनके अलावा दर्जन भर छोटी-छोटी पार्टियां भी मैदान में ताल ठोक कर खडी हैं. यहां बता दें कि कल तेजस्वी यादव ने सीटों के बंटवारे को लेकर कहा था कि बिहार में किसी दल ने अभी सीटों का बंटवारा नहीं किया है. ऐसे में वह सीटों के बंटवारे को लेकर परेशान क्यों हो? समय पर सीटों का बंटवारा हो जाएगा.
तीसरे मोर्चे ने भी विधानसभा चुनाव में दस्तक दी
इसबीच, तीसरे मोर्चे ने भी विधानसभा चुनाव में दस्तक दी है. रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के रास्ते अभी तय नहीं हो पाये हैं. उनकी नजर लोजपा के एनडीए से अलग होने की स्थिति में चिराग पासवान के साथ जाने की भी है. वहीं पार्टी सूत्र एनडीए में वापसी की संभावना से भी इन्कार नहीं कर रहे.
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के साथ कई पुराने नेताओं की टोली है, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि, पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह, रेणु कुशवाहा, पूर्व सांसद अरुण कुमार जैसे नेता हैं. जबकि हैदराबाद के सांसद असुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम ने समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक के साथ तालमेल किया है. समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव हैं. इन दोनों नेताओं की बिहार में राजद के माय समीकरण के इतर इसी तरह के एक नये समीकरण गढ़ने की योजना है.