हैदराबाद: AIMIM पार्टी के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मीडिया वालों पर जमकर निशाना साधा है। किसानों और मजदूरों की आत्महत्या पर घेरते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मीडिया के लिए एक एक्टर की दुर्भाग्यपूर्ण मौत हजारों किसानों और मजदूरों की मौत से ज्यादा मायने रखती है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रवादी मीडिया कभी भी पीएमो से किसानों और मजदूरों की मौत पर सवाल करने की हिम्मत नहीं दिखाते हैं। उन्होंने PUBG बैन को लेकर भी दिखाए गए खबरों पर सवाल किया।
असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया, ''रात 9 बजे वाले राष्ट्रवादी भारत के सबसे गरीब लोगों की खुदकुशी को मजबूर होने परकोई कार्यक्रम नहीं करेंगे। इसमें कोई जांच भी नहीं होगी। पीड़ितों के परिवारों से कोई इंटरव्यू नहीं लिया जाएगा। कोई ड्रामा नहीं होगा। वो पीएमओ से किसी भी कीमत पर कोई सवाल नहीं पूछेंगे। लाखों भारतीय दर्द में हैं और यह उनका हक है कि उनकी आवाज सुनी जाए।''
असदुद्दीन ओवैसी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ''लेकिन इन सब की जगह आज रात PUBG बैन पर चर्चा होगी। ताकि हमें हमारे साथी नागरिकों की दयनीय हालत से हमारा ध्यान भटकाया जा सके। मीडिया की नजर एक एक्टर की दुर्भाग्यपूर्ण मौत हजारों किसानों और मजदूरों की मौत से ज्यादा मायने रखती है।''
ओवैसी ने दिया NCRB आंकड़ों का हवाला, 2019 में करीब 43,000 किसानों -मजदूरों ने आत्महत्या की
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 2019 में करीब 43,000 किसानों और दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की। साल भर के दौरान देशभर में कुल 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष के दौरान 32,563 दिहाड़ी मजदूरों ने अपना जीवन समाप्त कर लिया। कुल मामलों में यह संख्या लगभग 23.4 प्रतिशत रही। वहीं एक साल पहले 2018 में यह संख्या 30,132 थी।
एनसीआरबी आंकड़ों के मुताबिक 2019 में कृषि क्षेत्र से जुड़े 10,281 लोगों (जिसमें 5,957 किसान और 4,324 खेतिहर मजदूर शामिल हैं) ने आत्महत्या की। यह संख्या देश में 2019 के आत्महत्या के कुल 1,39,123 मामलों का 7.4 प्रतिशत है। इससे पहले 2018 में खेती किसानी करने वाले कुल 10,349 लोगों ने आत्महत्या की थी। यह संख्या उस साल के कुल आत्महत्या के मामलों का 7.7 प्रतिशत थी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत कार्य करने वाले, एनसीआरबी ने कहा कि वर्ष 2019 में आत्महत्या करने वाले 5,957 किसानों में से 5,563 पुरुष और 394 महिलाएं थीं। वहीं वर्ष के दौरान आत्महत्या करने वाले कुल 4,324 खेतिहर मजदूरों में से, 3,749 पुरुष और 575 महिलाएं थीं। आंकड़ों के मुताबिक आत्महत्या करने वाले सबसे ज्यादा किसान महाराष्ट्र से (38.2 प्रतिशत), कर्नाटक (19.4 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (10 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (5.3 प्रतिशत) और छत्तीसगढ़ और तेलंगाना (4.9 प्रतिशत प्रत्येक) से हैं। हालांकि, एनसीआरबी ने कहा कि पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, मणिपुर, केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, दमन और दीव, दिल्ली, लक्षद्वीप और पुदुचेरी से किसानों के साथ-साथ खेतिहर मजदूरों की आत्महत्या का कोई मामला नहीं रहा है। (पीटीआई-इनपुट के साथ)