BSP और TMC के बाद AAP ने भी किया CAA पर विपक्षी दलों की बैठक से किनारा, संजय सिंह बोले- जानकारी ही नहीं
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 13, 2020 09:40 AM2020-01-13T09:40:53+5:302020-01-13T10:25:29+5:30
आम आदमी पार्टी ने सीएए पर चर्चा के लिए बुलाई गई विपक्षी दलों की इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। आपको बता दें कि इस बैठक में शामिल होने से बहुजन समाज पार्टी और तृणमूल कांग्रेस पहले ही मना कर चुके हैं।
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर हो रहे प्रदर्शनों और उसके कारण विभिन्न विश्वविद्यालयों में हो रही हिंसा के मद्देनजर सोमवार को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई गई है। यह बैठक संसद एनेक्सी में दोपहर दो बजे होगी। इस बीच आम आदमी पार्टी ने इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। माना जा रहा है कि दिल्ली चुनाव को देखते हुए किसी भी तरह के विवााद से बचने के लिए आम आदमी पार्टी ने यह फैसला किया है। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि हमें ऐसी किसी बैठक की जानकारी ही नहीं है तो जाने का तुक ही पैदा नहीं होता।
आपको बता दें कि इस बैठक में शामिल होने से बहुजन समाज पार्टी और तृणमूल कांग्रेस पहले ही मना कर चुके हैं। सीएए के खिलाफ जब विपक्षी दल राष्ट्रपति के पास गए थे, उस वक्त भी बसपा उनके साथ नहीं थी। हालांकि पार्टी ने बाद में इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भेंट की थी।
Delhi: Aam Aadmi Party (AAP) will not attend today's opposition meeting called by Congress to discuss the current political situation in the country. pic.twitter.com/QlGsS6S9aG
— ANI (@ANI) January 13, 2020
मायावती ने सोमवार को ट्वीट करके कहा, 'जैसाकि विदित है कि राजस्थान कांग्रेसी सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिये जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहाँ बीएसपी के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतयाः विश्वासघाती है।'
मायावती ने आगे लिखा, 'ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी का शामिल होना, यह राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने वाला होगा। इसलिए बीएसपी इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी।'
उन्होंने लिखा, 'वैसे भी बीएसपी CAA/NRC आदि के विरोध में है। केन्द्र सरकार से पुनः अपील है कि वह इस विभाजनकारी व असंवैधानिक कानून को वापिस ले। साथ ही, JNU व अन्य शिक्षण संस्थानों में भी छात्रों का राजनीतिकरण करना यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण है।'