1 / 6पौराणिक मान्यता व राजवंश परंपरा में विजय दशमी पर सर्वत्र विजय की कामना से नगर सीमान्लंघन स्थित शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है। इसी के तहत सोमवार को विजयादशमी पर उज्जैन के राजा भगवान श्री महाकाल की सवारी दशहरा मैदान पहुंची । यहां पर शमी वृक्ष का पूजन किया गया।इससे पूर्व सुबह के समय परंपरानुसार मंदिर पर नया ध्वज चढ़ाया गया।2 / 6वर्ष में एक बार विजयादशमी पर भगवान नए शहर फ्रीगंज स्थित दशहरा मैदान जाते हैं। सवारी को सीमान्लंघन सवारी कहा जाता है। महाकाल मंदिर में यह परंपरा इस बार सोमवार को मनाई गई। मंदिर समिति की जनसंपर्क अधिकारी गौरी जोशी ने बताया कि ग्वालियर पंचांग के अनुसार विजय दशमी सोमवार को महाकालेश्वर मंदिर से शाम 4 बजे भगवान महाकाल की सवारी निकली।3 / 6मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल की टुकड़ी ने अवंतिकानाथ को सलामी दी। सवारी कोटमोहल्ला, गुदरी चौराहा,पटनी बाजार, गोपाल मंदिर, सराफा, सतीगेट, नई सड़क, दौलतगंज, मालीपुरा, देवासगेट, चामुण्डा माता चौराहा से टॉवर के रास्ते पुराने कलेक्टर बंगले के सामने से होती हुई दशहरा मैदान पहुंची।4 / 6इस दौरान भगवान का नए शहर में पुष्पवर्षा के साथ जोरदार स्वागत किया गया। सवारी के दशहरा मैदान पहुंचने पर कलेक्टर एवं मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष कुमार पुरुषोत्तम ने भगवान महाकाल व शमी वृक्ष की पूजा अर्चना की। पूजन पश्चात सवारी फ्रीगंज ओवरब्रिज से संख्याराजे धर्मशाला, देवासगेट, मालीपुरा, दौलतगंज, तोपखाना होते हुए पुनः श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची।5 / 6महाकाल मंदिर में विजय दशमी पर संध्या आरती में भगवान महाकाल ने भक्तों को होलकर मुखारविंद में दर्शन दिए। संध्या पूजन के बाद भगवान का होलकर रूप में शृंगार किया गया।6 / 6विजय दशमी पर महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर नया ध्वज चढ़ाने की परंपरा का भी विजयादशमी पर निर्वहन किया गया। सुबह आरती के बाद शिखर पर नया ध्वज चढ़ाया गया। महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनितगिरिजी महाराज ने ध्वज का पूजन किया।