see pics, राजा महाकाल शाही सवारीः प्राचीन स्वरूप के साथ कला और संस्कृति संगम, स्वागत में लाल कालीन

By बृजेश परमार | Published: August 17, 2020 08:36 PM2020-08-17T20:36:54+5:302020-08-17T20:38:24+5:30

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भगवान श्री महाकालेश्वर की शाही सवारी में धर्मिक प्राचीन स्वरुप के साथ कला व संस्कृति का संगम दिखा।सोमवार को शाही सवारी निकाली गई।

पालकी में विराजित मनमहेश जैसे ही महाकाल मन्दिर परिसर से बाहर आये, कड़ाबीन के धमाकों से लोगों को राजाधिराज के आने की सूचना दी गई।

समूचा परिवर्तित सवारी मार्ग ध्वज, वंदनवार एवं गुब्बारों एवं फूलों से सजाया गया था। सवारी के लिये मार्ग में लाल कालीन बिछाया गया था।

सवारी के पूर्व श्री महाकालेश्वर मन्दिर के सभा मण्डप में भगवान श्री मनमहेश का विधिवत पूजन-अर्चन शासकीय पुजारी घनश्याम शर्मा ने किया।

इसके बाद भगवान के मनमहेश मुघौटे को रजत पालकी में विराजित किया गया। सभा मण्डप में  संभागायुक्त आनन्द कुमार शर्मा ने सपत्नीक भगवान मनमहेश का विधिवत पूजन-अर्चन किया एवं आरती उतारी।

भगवान महाकालेश्वर की सवारी में पुलिस बैण्ड के बाद महाकाल का चांदी का ध्वज निकाला गया। इसके बाद सवारी निकली।सवारी के पीछे पांच मुखौटे एक रथ पर एवं हाथी पर चंद्रमौलेश्वर सवार होकर निकले। पूर्व सवारियों की तरह दो नगाड़े भी आकर्षण का केन्द्र बने हुए थे।

इस दौरान प्रशासन एवं पुलिस के अधिकारी पैदल ही चल रहे थे। परिवर्तित मार्ग अनुसार भगवान महाकालेश्वर की सवारी महाकाल मन्दिर से बड़ा गणेश मन्दिर होते हुए हरसिद्धि मन्दिर चौराहा पहुंची। यहां से झालरिया मठ और बालमुकुंद आश्रम होते हुए सवारी रामघाट पर पहुंची।