Maharashtra floods: 136 की मौत, सेना ने 'ऑपरेशन वर्षा 21' शुरू की, देखें तस्वीरें

By सतीश कुमार सिंह | Published: July 24, 2021 12:20 PM2021-07-24T12:20:07+5:302021-07-24T12:26:05+5:30

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महाराष्ट्र में बारिश से मरने वालों की संख्या 136 हो गई है। पिछले दो दिनों में राज्य में भारी बारिश के कारण कई लोगों की मौत हो गई है।

पश्चिमी महाराष्ट्र के पुणे मंडल में भारी बारिश और नदियों के उफान पर होने के चलते 84,452 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इनमें 40,000 से अधिक लोग कोल्हापुर जिले से हैं। अधिकारियों ने बताया कि कोल्हापुर शहर के पास पंचगंगा नदी 2019 में आई बाढ़ के स्तर से भी ऊपर बह रही है।

सेना ने राज्य में बाढ़ राहत और बचाव कार्य के लिए 'ऑपरेशन वर्षा 21' शुरू की है और पुणे के प्रभावित क्षेत्रों में स्थित औंध सैन्य स्टेशन और बॉम्बे इंजीनियर समूह के सैनिकों की कुल 15 राहत और बचाव टीमों को तैनात किया है।

भूस्खलन के अलावा कई लोग बाढ़ के पानी में बह गए। अधिकारी ने पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा जिले में विभिन्न घटनाओं में मरने वालों की संख्या 27 बताई।

कोल्हापुर शहर के पास पंचगंगा नदी 2019 में बाढ़ के दौरान देखी गई तुलना में अधिक स्तर पर बह रही थी। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) टीमों, स्थानीय आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ, पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा राहत एवं बचाव कार्य जारी है।

बचाव टीमों ने फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए हेलीकॉप्टरों की मदद ली। ठाकरे ने जिला प्रशासन को बचाव कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया है। विज्ञप्ति के मुताबिक, रायगढ़ जिले के मंगांव में लोगों को भोजन के करीब 2000 पैकेट बांटे गये हैं।

इस बीच, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने सतारा के लिए एक नया 'रेड अलर्ट' जारी किया था, जिसमें अगले 24 घंटों में इस पश्चिमी महाराष्ट्र जिले के पहाड़ी 'घाट' क्षेत्रों में "अत्यधिक भारी वर्षा" की भविष्यवाणी की गई थी, जहां लगभग 30 लोग लापता हैं।

मौसम विभाग ने पुणे और कोल्हापुर जिलों के लिए 'ऑरेंज अलर्ट' भी जारी किया है। पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश से क्षेत्र बेहाल है।

आईएमडी ने कहा कि सतारा जिले के घाट खंडों में अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा होने की संभावना है।

भारतीय नौसेना की पश्चिमी नौसेना कमान महाराष्ट्र, कर्नाटक और गोवा में प्रभावित क्षेत्रों के राज्य और जिला प्रशासन को सहायता प्रदान करने के लिए संसाधन जुटाती है, जो लगातार बारिश के कारण शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बाढ़ की चपेट में हैं।