1 / 10दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी - लाल चन्द फ़लक2 / 10लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है उछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी - फिराक़ गोरखपुरी3 / 10वतन की ख़ाक ज़रा एड़ियाँ रगड़ने दे मुझे यक़ीन है पानी यहीं से निकलेगा - अज्ञात4 / 10तीर खाने की हवस है तो जिगर पैदा कर सरफ़रोशी की तमन्ना है तो सर पैदा कर -अमीर मीनाई5 / 10जलाने वाले जलाते ही हैं चराग़ आख़िर ये क्या कहा कि हवा तेज़ है ज़माने की -जमील मज़हरी6 / 10जिंदगी जब तुझको समझा, मौत फिर क्या चीज है ऐ वतन तू हीं बता, तुझसे बड़ी क्या चीज है7 / 10हम ख़ून की क़िस्तें तो कई दे चुके लेकिन ऐ ख़ाक-ए-वतन क़र्ज़ अदा क्यूँ नहीं होता - वाली आसी8 / 10सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है - राम प्रसाद बिस्मिल9 / 10 न इंतिज़ार करो इन का ऐ अज़ा-दारो शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते - साबिर ज़फ़र10 / 10तेरे शहीद को दूल्हा बना हुआ देखा रवाँ जनाज़े के पीछे बरात कितनी है - बेख़ुद देहलवी