एक भारतीय नागरिक के नाम पर पड़ा था भारत-चीन सीमा पर मौजूद गलवान घाटी का नाम, यहां जानिए पूरी डिटेल

By मनाली रस्तोगी | Published: June 17, 2020 02:16 PM2020-06-17T14:16:22+5:302020-06-17T14:17:20+5:30

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पूर्वी लद्दाख में सोमवार रात गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैनिक शहीद हो गए। पिछले पांच दशक से भी ज्यादा समय में सबसे बड़े सैन्य टकराव के कारण क्षेत्र में सीमा पर पहले से जारी गतिरोध और भड़क गया है।

भारत के लिए गलवान घाटी और नदी बहुत महत्वपूर्ण है। यही पर चीन के साथ 1962, 1975 और सोमवार (15 जून) के संघर्ष हुए। 14,000 फीट और माइनस 20 डिग्री सेल्सियस की ऊंचाई पर वाली ये साइट अक्साई चीन का हिस्सा है, जिसकी चीन पिछले 7 दशकों से निगरानी कर रहा है।

भारत और चीन के बीच एक ही घाटी में एक बड़ा युद्ध और दो मामूली संघर्ष हुए हैं। यही नहीं, आज भी इसको लेकर दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल बना हुआ है।

गलवान घाटी का इतिहास 121 साल पुराना है। इस घाटी का नाम एक भारतीय नागरिक पर पड़ा है। सर्वेंटस ऑफ साहिब किताब के लेखक गुलाम रसूल गलवान का जन्म साल 1878 में हुआ था।

सर्वेंटस ऑफ साहिब किताब के लेखक गुलाम रसूल गलवान ने ही सबसे पहले ब्रिटिश काल के दौरान वर्ष 1899 में सीमा पर मौजूद नदी के स्रोत का पता लगाया था। नदी के स्रोत का पता लगाने वाले दल का नेतृत्व गुलाम रसूल गलवान ने किया था। ऐसे में उनके नाम पर ही घाटी को अब गलवान कहा जाता है।

गुलाम ने 14 साल की उम्र में ही अपना घर छोड़ दिया था। बाद में वो अग्रेजों के पसंदीदा गाइड बन गए थे। असल में तो अंग्रजों को लद्दाख पसंद नहीं था। साल 1899 में गुलाम ने लेह से ट्रैकिंग शुरू की। इसके बाद वह लद्दाख के आसपास के नए हिस्सों में पहुंचे गए। इसी में से एक गलवान घाटी थी, जिसको उन्होंने खोजा है।

लद्दाख के पास स्थित गलवान घाटी विवादित क्षेत्र अक्साई चीन में स्थित है। अक्साई चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा भारत से अलग करती है।

लद्दाख और अक्साई चीन के बीच स्थित गलवान घाटी से भारत-चीन सीमा काफी करीब है।

चीन ने लद्दाख में एलएसी पर स्थित गलवान इलाके को अपने कब्जे में ले रखा है।

भारतीय जवान भी चीन के अतिक्रमण को रोकने के लिए यहां नाव के जरिए नियमित गश्त करते हैं।