कहीं आप तो नहीं "उलझे बाल सिंड्रोम" के शिकार, जानें कौन है इसके लिए जिम्मेदार

By संदीप दाहिमा | Published: September 28, 2022 04:13 PM2022-09-28T16:13:17+5:302022-09-28T16:32:40+5:30

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उलझे और बेकाबू बाल एक ऐसी स्थिति है जिसने दशकों से माता-पिता को परेशान किया है, अब वैज्ञानिकों का मानना ​​​​है कि इस ‘‘उलझे बाल सिंड्रोंम’’ के लिए जीन जिम्मेदार हैं। हाँ, वास्तव में ऐसा ही है। बालों का उलझा होना और संवरने में न आना सिर्फ मुश्किल बालों से कहीं ज्यादा है। जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, यह ऐसे बाल हैं जो सभी कोणों पर एक दूसरे से चिपक जाते हैं, जिससे इन्हें सुलझाना या कंघी करना लगभग असंभव हो जाता है।

यह आमतौर पर तीन महीने और 12 साल की उम्र के बीच के बच्चों में शुरू होता है और यह मुख्यत: स्ट्रॉ ब्लॉन्ड या सिल्वर ब्लॉन्ड घुंघराले बालों वाले बच्चों में होते हैं। यह स्थिति आमतौर पर लहरदार, सूखे और जल्दी टूटने वाले बालों में होती है। बोरिस जॉनसन या अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे हाई-प्रोफाइल लोग अपने बेकाबू और उलझे बालों के लिए प्रसिद्ध हैं, हालांकि इस बात की बहुत कम संभावना है कि वह उलझे बाल सिंड्रोम के शिकार हैं क्योंकि उम्र बढ़ने पर वयस्कता में इस स्थिति में सुधार आता है या यह सिंड्रोम गायब हो जाता है।

इस दुर्लभ स्थिति पर बहुत अधिक शोध नहीं हुआ है। इस संबंध में पहली बार 1970 के दशक में कुछ लेख प्रकाशित हुए थे। तब से इस विषय पर लगभग 70 प्रकाशन सामने आए हैं, जिनमें से अधिकांश केस रिपोर्ट हैं। उलझे बालों वाले 11 बच्चों पर किए गए हालिया अध्ययनों में से एक जर्मनी के बॉन विश्वविद्यालय में आनुवंशिकीविदों द्वारा किया गया था। उन्होंने पाया कि इस स्थिति को तीन जीनों में उत्परिवर्तन द्वारा समझाया जा सकता है, जो बालों के रोम में मौजूद प्रोटीन से संबंधित हैं।

चूंकि उस अध्ययन के बारे में तब काफी कुछ प्रकाशित हुआ था, इस स्थिति वाले बच्चों के परिवार आगे आए और अब उन्हीं वैज्ञानिकों ने 100 से अधिक बच्चों के साथ अपने इस आनुवंशिकी अध्ययन को दोहराया है। उन्होंने पुष्टि की है कि इनमें से 76 बच्चों में इस सिंड्रोम का कारण पीएडीआई3 जीन में उत्परिवर्तन के साथ-साथ दो अन्य जीनों की भागीदारी से जुड़ा हुआ है, जिनमें से तीनों बाल-फाइबर निर्माण में शामिल महत्वपूर्ण प्रोटीन के लिए कोड हैं। बालों सहित अन्य मानव भिन्नताएं, वैश्विक आबादी में हमारे जीनों में कई छोटी भिन्नताओं का परिणाम है। जब जीन में उत्परिवर्तन होता है, तो कभी-कभी यह प्रोटीन के कार्य में परिवर्तन की ओर ले जाता है।

यदि वह प्रोटीन बालों के रोम में है, तो इस बात की संभावना अधिक है कि बाल अलग दिखेंगे। यही कारण है कि भूरे, सफेद, घुंघराले, मोटे, सीधे, लाल या बिना बाल के अर्थात गंजा भी हो सकता है। बालों के रेशे के आकार और कर्ल के लिए विरासत में मिली कुछ विविधताएँ जिम्मेदार होती हैं, लेकिन शायद ही ये किसी गंभीर बीमारी से जुड़ी हों। दिलचस्प बात यह है कि अक्सर प्रोटीन जो प्रभावित होते हैं वे आंतरिक भाग में होते हैं, जिसमें बालों के रोम की तीन परतें होती हैं,जो बालों के फाइबर में आकार डालने में मदद करती हैं। हम यह भी जानते हैं कि इस तरह के बेतरतीब बाल एक ‘‘पुनरावर्ती’’ आनुवंशिक विशेषता है। दूसरे शब्दों में, माता-पिता दोनों उत्परिवर्तित जीन के वाहक होने चाहिए, हालाँकि यह संभव है कि खुद उनके साथ ऐसा न हो।

वैसे यदि उनके बच्चे को माता-पिता दोनो में मौजूद उस जीन की एक प्रति विरासत में मिलती है, तो उन्हें यह सिंड्रोम होगा। बाल सबसे सांस्कृतिक रूप से विशिष्ट और व्यक्तिगत विशेषताओं में से एक है। इसकी शैली, आकार, रंग और वास्तव में अनुपस्थिति कुछ ऐसी है जिसके बारे में हर कोई हर दिन सोचता है। पिछली शताब्दी में बालों की देखभाल करने वाला एक विशाल उद्योग विकसित हुआ है जो हम सभी को अपने बालों का प्रबंधन करने में मदद करता है। इसलिए जब एक दुर्लभ स्थिति बालों में कोई असामान्य बदलाव लाती है तो वैज्ञानिक यह समझना चाहते हैं कि यह कैसे होता है ताकि प्रभावित बच्चों वाले परिवारों को भी इसे बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल सके।