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पीएफ पर नहीं मिलेगी आपको बड़ी छूट, लाखों प्राइवेट नौकरी करने वालों को बड़ा झटका, जानिए कारण

By सतीश कुमार सिंह | Updated: February 5, 2021 15:09 IST

New PF Rules 2021:1 फरवरी को प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2021 में कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF) से अर्जित ब्याज आय पर कर छूट को 2.5 रुपये या उससे अधिक के अंशदान से हटाने का निर्णय लिया गया है।

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ठळक मुद्देसरकार ने कहा कि यह निर्णय केवल उच्च आय वाले व्यक्तियों की एक छोटी श्रेणी को प्रभावित करेगा।नियम VPF योगदान पर भी लागू होता है। सरकार के मुताबिक ऐसे करीब 1.2 लाख पीएफ सबस्‍क्राइबर हैं, जो ज्‍यादा पीएफ कटवा रहे हैं।

Union Budget 2021-22: आम बजट में लाखों प्राइवेट कर्मचारी को बड़ा झटका लगा है। अगर आप पीएफ कटवाते हैं तो अब टैक्स भरना होगा। 

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021-22 में पीएफ कटौती पर कैची चला दी है। उसके ऊपर कैप लगा दिया है। यदि साल भर में 2.5 लाख से अधिक आप पीएफ कटवाते हैं तो आप को इनकम टैक्स भरना पड़ेगा।

1 फरवरी को प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2021 में कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF) से अर्जित ब्याज आय पर कर छूट को 2.5 रुपये या उससे अधिक के अंशदान से हटाने का निर्णय लिया गया है। सरकार ने कहा कि यह निर्णय केवल उच्च आय वाले व्यक्तियों की एक छोटी श्रेणी को प्रभावित करेगा।

अर्जित ब्याज आय पर वर्तमान आयकर दरों पर कर लगाया जाएगा

इसे सीधे शब्दों में कहें तो किसी व्यक्ति द्वारा अर्जित ब्याज आय पर वर्तमान आयकर दरों पर कर लगाया जाएगा, यदि अंशदान 2.5 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक है। यही नियम VPF योगदान पर भी लागू होता है। हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि यह कदम उच्च-आय वाले या एचएनआई को प्रभावित करेगा, जो सालाना भविष्य निधि में बड़े स्वैच्छिक योगदान करते हैं। सरकार के मुताबिक ऐसे करीब 1.2 लाख पीएफ सबस्‍क्राइबर हैं, जो ज्‍यादा पीएफ कटवा रहे हैं।

कर्मचारी के मूल वेतन का कम से कम 12 प्रतिशत ईपीएफ में जाता है

किसी कर्मचारी के मूल वेतन का कम से कम 12 प्रतिशत ईपीएफ में जाता है, जबकि शेष 12 प्रतिशत को नियोक्ता द्वारा योगदान देना पड़ता है। सरकार का निर्णय केवल कर्मचारियों के योगदान पर लागू होता है। जो भी लगभग 20 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं, उनका वार्षिक पीएफ योगदान 2.5 लाख रुपये के बॉलपार्क के करीब होगा और ईपीएफ से ब्याज आय पर एक नए कर का सामना करने की संभावना है।

20 लाख रुपये से कम की आय वाले, लेकिन ईपीएफ की ओर स्वैच्छिक रूप से 2.5 लाख रुपये से अधिक का योगदान करने पर भी इससे होने वाली ब्याज आय पर कर का सामना करना पड़ेगा। सरकार ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि बहुत से लोग ईपीएफ के लिए सालाना बड़ी रकम लगाते हैं और बिना कोई टैक्स चुकाए उससे ब्याज आय अर्जित करते हैं। 

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