अब सभी रेसलिंग प्रतियोगिताओं के लिए 'आधार' होगा अनिवार्य, इसलिए उठाया गया कदम
By अभिषेक पाण्डेय | Updated: March 11, 2018 13:06 IST2018-03-11T13:06:38+5:302018-03-11T13:06:38+5:30
Aadhaar: रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने पहलवानों के लिए किया आधार को अनिवार्य

आधार होगा सभी रेसलिंग प्रतियोगिताओं के लिए अनिवार्य
राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय रेसलिंग प्रतियोगिताओं में उम्र संबंधी धोखाधड़ी पर रोक लगाने के उद्देश्य से रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने सभी सीनियर, जूनियर, सब-जूनियर और कैडेट प्रतियोगिताओं के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया है।
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के मुताबिक इस कदम से न सिर्फ उम्र संबंधी धोखाधड़ी रोकने में मदद मिलेगी बल्कि उन बेईमान खिलाड़ियों पर भी नकेल कसी जा सकेगी जो अवैध निवास प्रमाण पत्र पेश करते हैं। ऐसे खिलाड़ी अपने पैतृक राज्य से बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र (नॉन ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) प्राप्त किए ही अवैध निवास प्रमाण पत्र पेश कर देते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने कहा है, 'आधार सभी सीनियर, जूनियर और राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय रेसलिंग प्रतियोगिताओं की कैडेट कैटिगरी में धोखाधड़ी रोकने के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।'
WFI के सचिव विनोद तोमर ने कहा, 'इस कदम से बेईमान पहलवानों की पहचान करने में मदद मिलेगी। जो नकली दस्तावेज बनवाते हैं और उम्र संबंधी धोखाधड़ी करते हैं। इससे खिलाड़ियों को अवैध निवास प्रमाण पत्र बनवाने से रोकने में भी मदद मिलेगी। अगर कोई खिलाड़ी अपने राज्य के अलावा किसी और राज्य से खेलना चाहता है तो उस खिलाड़ी को अपने राज्य से एनओसी लाना होगा।'
तोमर ने कहा कि इससे उन पहलवानों को फायदा होगा जो इसलिए आगे नहीं बढ़ पाते क्योंकि बेईमान पहलवान नकली निवास प्रमाण पत्र दिखाकर उनकी जगह हड़प लेते हैं। उन्होंने कहा कि कई ऐसे भी खिलाड़ी हैं जो हारने के बावजूद नकली प्रमाणपत्र बनवा लेते हैं और नकली दस्तावेजों के साथ जूनियर स्तर में खेलने आ जाते हैं, आधार अनिवार्य होने से इन खिलाड़ियों को भी पकड़ा जा सकेगा।
हाल ही में जयपुर में 22-25 फरवरी के दौरान आयोजित हुई जूनियर नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप के दौरान छह जूनियर पहलवानों को एक साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया क्योंकि वे बताई गई उम्र से ज्यादा के थे। इन छह पहलवानों में से दो-दो दिल्ली और चंड़ीगढ़ और एक-एक हरियाणा और उत्तर प्रदेश के थे। इन छह में से चार को बिना अपने पैतृक राज्य की एनओसी के धोखे से अपना राज्य का निवास स्थान बदलने का दोषी पाया गया था।
