Tokyo Paralympics: स्वर्ण पदक से एक कदम दूर नोएडा के DM सुहास यथिराज, दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी और एशियाई चैंपियन प्रमोद भगत फाइनल में
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 4, 2021 03:43 PM2021-09-04T15:43:13+5:302021-09-04T15:44:07+5:30
Tokyo Paralympics: एसएल4 क्लास में उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर के जिला मजिस्ट्रेट सुहास यथिराज ने इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान को 31 मिनट में 21-9, 21-15 से हराया।
Tokyo Paralympics: उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर के जिला मजिस्ट्रेट सुहास यथिराज 2020 टोक्यो पैरालिंपिक में बैडमिंटन पुरुष एकल SL4 इवेंट के फाइनल में पहुंचे। 38 वर्षीय सुहास ने इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान को 21-9, 21-15 से हराकर भारत को 15वां पदक दिलाया फाइनल किया। सुहास ने सेमीफाइनल तक पहुंचने में 31 मिनट का समय लिया।
दुनिया की तीसरे नंबर की खिलाड़ी ने इंडोनेशिया के हैरी सुसांतो को 21-6, 21-12 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। सुहास का सामना अब फ्रांस के विश्व नंबर 1 लुकास मजूर से होगा, जिन्होंने सेमीफाइनल में एक और भारतीय तरुण ढिल्लों को हराया था। एक घंटे तीन मिनट तक चले मुकाबले में मजूर ने 21-16, 16-21, 21-18 से जीत हासिल की।
अब उनका सामना शीर्ष वरीयता प्राप्त फ्रांस के लुकास माजूर से होगा। कर्नाटक के 38 वर्ष के सुहास के टखनों में विकार है। कोर्ट के भीतर और बाहर कई उपलब्धियां हासिल कर चुके सुहास कम्प्यूटर इंजीनियर है और प्रशासनिक अधिकारी भी।
वह 2020 से नोएडा के जिला मजिस्ट्रेट हैं और कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में मोर्चे से अगुवाई कर चुके हैं। उन्होंने 2017 में बीडब्ल्यूएफ तुर्की पैरा बैडमिंटन चैम्पियनशिप में पुरुष एकल और युगल स्वर्ण जीता । इसके अलावा 2016 एशिया चैम्पियनशिप में स्वर्ण और 2018 पैरा एशियाई खेलों में कांस्य पदक हासिल किया ।
भारत के तीन खिलाड़ी मौजूदा विश्व चैम्पियन प्रमोद भगत, कृष्णा नागर और सुहास यथिराज शनिवार को टोक्यो पैरालम्पिक एकल बैडमिंटन में अपने अपने वर्ग के फाइनल में पहुंच गए लेकिन मनोज सरकार और तरुण ढिल्लों को सेमीफाइनल में पराजय का सामना करना पड़ा।
भगत और पलक कोहली की भारतीय मिश्रित युगल जोड़ी भी के एसएल3-एसयू5 वर्ग के सेमीफाइनल में हार गयी। यह जोड़ी अब कांस्य पदक के लिए चुनौती पेश करेगी। दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी और एशियाई चैम्पियन 33 वर्ष के भगत ने एसएल3 क्लास में जापान के दाइसुके फुजीहारा को 36 मिनट में 21 . 11, 21 . 16 से हराया।
पांच वर्ष की उम्र में पोलियो के कारण उनका बायां पैर विकृत हो गया था। उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में चार स्वर्ण समेत 45 अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं। बीडब्ल्यूएफ विश्व चैम्पियनशिप में पिछले आठ साल में उन्होंने दो स्वर्ण और एक रजत जीते। 2018 पैरा एशियाई खेलों में उन्होंने एक रजत और एक कांस्य जीता। इस साल पैरालम्पिक में पहली बार बैडमिंटन खेला जा रहा है लिहाजा स्वर्ण पदक के मुकाबले में पहुंचने वाले भगत पहले भारतीय हो गए। उनका सामना ब्रिटेन के डेनियल बेथेल से होगा।
दूसरी वरीयता प्राप्त नागर ने ब्रिटेन की क्रिस्टीन कूम्ब्स को एसएच6 क्लास सेमीफाइनल में 21 . 10, 21 . 11 से हराया । अब उनका सामना हांगकांग की चु मान केइ से होगा । बाईस वर्ष के नागर ने चार साल पहले ही खेलना शुरू किया । उन्होंने पैरा एशियाई खेलों में रजत और विश्व चैम्पियनशिप 2019 में एकल में कांस्य और युगल में रजत पदक जीता था। दूसरे एसएल4 सेमीफाइनल में माजूर ने दूसरी वरीयता प्राप्त भारतीय खिलाड़ी ढिल्लों को करीबी मुकाबले में 21 . 16, 16 . 21, 21 . 18 से हराया।
हिसार के 27 वर्ष के ढिल्लों का सामना कांस्य पदक के लिये सेतियावान से होगा। वहीं मनोज को दूसरी वरीयता प्राप्त बेथेल ने 21 . 8, 21 . 10 से हराया। मनोज अब कांस्य पदक के लिये फुजीहारा से खेलेंगे। एसएल3-एसयू5 वर्ग में भगत और पलक की जोड़ी को इंडोनेशिया की हैरी सुसांतो एवं लीएनी रात्रि आकतिला से 3 . 21, 15 . 21 से हार का सामना करा पड़ा। भारतीय जोड़ी रविवार को कांस्य पदक के प्लेऑफ में जापान की दाइसुके फुजीहारा एवं अकीको सुगिनो की जोड़ी से भिड़ेगी।
इससे पहले भगत ने एसएल3 वर्ग के पुरुष एकल के सेमीफाइनल में शानदार जीत दर्ज की। इस क्लासीफिकेशन में आधा कोर्ट की इस्तेमाल होता है तो भगत और फुजीहारा ने लंबी रेलियां लगाई । शुरूआत में भगत 2 . 4 से पीछे थे लेकिन ब्रेक तक 11 . 8 से बढ़त बना ली। उसके बाद इस लय को कायम रखते हुए लगातार छह अंक के साथ पहला गेम जीता । दूसरे गेम में उन्होंने विरोधी को कोई मौका ही नहीं दिया । मैच के बाद भगत ने कहा ,‘‘ यह शानदार मैच था । उसने मुझे कुछ अच्छे शॉट्स लगाने के लिये प्रेरित किया । मुझे फाइनल में पहुंचने की खुशी है लेकिन काम अभी पूरा नहीं हुआ है ।’’
(इनपुट एजेंसी)