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रॉय जोन्स का खराब अंपायरिंग से स्वर्ण चूकने का दर्द अब भी है बरकरार, एआईबीए ने किया सुधार का वादा

By भाषा | Updated: June 29, 2021 13:31 IST

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... पूनम मेहरा...

नयी दिल्ली, 29 जून अमेरिका के दिग्गज मुक्केबाज रॉय जोन्स जूनियर को अपने मंच से बात रखने की अनुमति देकर अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) ने अपने खराब अतीत का सामना करने का फैसला किया।

जोन्स जूनियर ने 1988 सियोल ओलंपिक में पूरे मुकाबले में दबदबे के बाद भी रजत पदक जीता था। जजों के ‘खराब अंपायरिंग’ के कारण स्वर्ण पदक को उनसे ‘छीने’ जाने की घटना उन्हें आज भी परेशान करती है।

सियोल ओलंपिक के लगभग तीन दशक के बाद जोन्स एआईबीए के अध्यक्ष उमर क्रेमलेव के साथ लुसाने में एक वैश्विक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठे और उन्होंने खुद के लिए इस ‘बेहद बुरे’ समय को फिर से याद किया , जिसे इस खेल के इतिहास में सबसे बुरे फैसलों में से एक माना जाता है।

जोन्स स्थानीय मुक्केबाज पार्क-सी-हुन से 71 किग्रा वर्ग में 2-3 से हार गये थे। उन्होंने इस दक्षिण कोरियाई मुक्केबाज को 86 पंच लगाये थे जबकि उनके खिलाफ सिर्फ 32 पंच लगे थे।

जोन्स ने इसके बाद एमेच्योर छोड़कर पेशेवर बनने का फैसला किया और चार अलग-अलग भार वर्गों में विश्व चैम्पियन बने। वह हालांकि सियोल ओलंपिक के फाइनल की टीस को कभी नहीं भूले।

उन्होंने कहा, ‘‘ बेईमान जजों द्वारा विरोधी खिलाड़ी का हाथ उठाते (विजेता घोषित) हुए देखने के लिए, गलत और अन्याय के जैसा था। मैंने 1988 में सियोल में उस रात स्वर्ण पदक जीता था।’’

उन्होंने इस घटना के 33 साल बाद भी भावुक होते हुए कहा, ‘‘ वे सभी जज बेईमान थे और इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि सिर्फ वे ही नहीं ऐसे और भी जज थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं कभी इस बात को नहीं भूल पाऊंगा, जब उन्होंने मेरी जगह कोरियाई खिलाड़ी का हाथ उठा दिया।’’

यहां तक ​​कि उस मुकाबले के विजेता ने भी संघर्षमय जीवन व्यतीत किया है।

पार्क ने अक्सर कहा है कि उसने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें विजेता घोषित किया जाएगा। जब उनका हाथ उठाया गया तो जोन्स की तरह वह भी चौंक गये।

जोन्स ने कहा, ‘‘ यह उसकी गलती नहीं थी। वह भी परिस्थितियों का उतना ही शिकार था जितना कि मैं। उसने यह व्यक्त करने के लिए मेरा हाथ उठाया। वह जानता था कि क्या हुआ था।’’

यही वह दर्द है जिसे क्रेमलेव ने अपने कार्यकाल की छह महीने पूरे होने पर वादा किया था। उन्होंने छह महीने पूरे होने पर पीटीआई सहित चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय मीडिया के साथ बिना किसी रोक-टोक के बातचीत की

रियो ओलंपिक (2016) के बाद भी मुक्केबाजी में खराब अंपायरिंग का मामला उठा और फिलहाल इसकी स्वतंत्र जांच चल रही है । एआईबीए को ओलंपिक समिति से निलंबित भी कर दिया गया था। उसने हालांकि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति से फिर से संबद्धता के लिए प्रयास शुरु कर दिये है। तोक्यो में आगामी ओलंपिक खेलों के संचालन का काम आईओसी खुद करेगा।

क्रेमलेव ने कहा, ‘‘हम सभी जानते हैं कि हमारे सामने जो हुआ उसे सीधे शब्दों में कहें तो वह अपराध था।’’

रियो ओलंपिक में 53 किग्रा वर्ग में विश्व चैम्पियन माइकल कोनलान को ऐसी स्थिति का ही सामना करना पड़ा। क्वार्टर फाइनल के पूरे मुकाबले में दबदबा रहने के बाद भी उन्हें विजेता नहीं घोषित किया गया।

आयरलैंड के इस मुक्केबाज ने इसके बार जजों के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया और एमेच्योर मुक्केबाजी छोड़ने का फैसला किया।

एआईबीए इसके बाद उन्हें प्रतिबंधित कर दिया लेकिन बाद में मुकाबले के तीनों जजों को हमेशा के लिए निलंबित कर दिया गया।

कोनलान ने कहा, ‘‘मेरे लिए तो नुकसान हो चुका था और वह हमेशा रहेगा। जब आप मेहनत करो और आपको पुरस्कार नहीं मिलता है, तो यह विनाशकारी होता है। मैं किसी अन्य व्यक्ति को उस रास्ते पर जाते हुए कभी नहीं देखना चाहता।’’

क्रेमलेव की गलत काम में लिप्त पाए जाने वालों पर आजीवन प्रतिबंध लगाये जाने की चेतावनियों और एक समीक्षा प्रणाली की शुरुआत के बाद भी पिछले महीने ही एशियाई चैंपियनशिप में गलत फैसले देने के आरोप लगाए गए थे।

भारत के अमित पंघाल उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने महसूस किया कि उनके साथ गलत हुआ, हालांकि टूर्नामेंट के दौरान भारत के विरोध को जूरी ने खारिज कर दिया था।

क्रमलेव ने पीटीआई-भाषा के सवाल के जवाब में कहा, ‘‘ चैंपियनशिप के दौरान, हमने कई लोगों को हटा दिया था और जांच चल रही है। जब यह पूरी हो जाएगी तब हम कोई फैसला ले पायेंगे। लेकिन मैं चाहता हूं कि यह जल्दी से पूरा हो जाए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ जब ये जांच पूरी हो जाएगी, तो इसमें शामिल लोगों के नामों की घोषणा की जाएगी और उन्हें आजीवन अयोग्य ठहराने का कड़ा फैसला लिया जाएगा।’’

उन्होंने माना, ‘‘बहुत सारे लोग हैं जो इसके पीड़ित हैं। यह (वास्तविक नुकसान) बहुत बड़ा है।’’

भारत की छह बार की विश्व चैंपियन एमसी मैरी कोम भी एक पूर्व-रिकॉर्डेड संदेश के माध्यम से इस आयोजन का हिस्सा थीं । उन्होंने भी स्वीकार किया कि अतीत के एआईबीए ने अपने मुक्केबाजों के साथ खड़े होने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाये हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ बहुत लंबे समय से एआईबीए ने कोई अच्छा उदाहरण नहीं बनाया है लेकिन मुझे खुशी है कि यह बदल रहा है।’’

क्रेमलेव ने वादा किया कि खेल की बेहतरी के लिए बदलाव किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम 100 प्रतिशत सही फैसला करने की क्षमता हासिल करना चाहते हैं । एक आदर्श प्रणाली होना मुश्किल होगा। हालांकि, हम कोशिश कर सकते हैं।’’

उन्होंने उम्मीद उम्मीद जतायी कि 2024 पेरिस ओलंपिक में इस खेल का संचालन उनके पास होगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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