इंटरनेशनल वीमेन डे 2019 स्पेशल: हर मुश्किल को मात दे इस युवा एथलीट ने बजाया भारत का डंका, ऐतिहासिक जीत की 'सुनहरी दास्तां'

By अभिषेक पाण्डेय | Updated: March 8, 2019 07:27 IST2019-03-08T07:27:53+5:302019-03-08T07:27:53+5:30

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस २०१९ Hima das story: असम के एक छोटे से गांव से आने वाली हिमा दास ने जुलाई 2018 में AIFF अंडर-20 की 400 मीटर रेस को 51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए गोल्ड जीतकर इतिहास रचा था

International Women's Day: Hima das first Indian athlete to win a gold medal in a track event at IAAF World U20 Championships | इंटरनेशनल वीमेन डे 2019 स्पेशल: हर मुश्किल को मात दे इस युवा एथलीट ने बजाया भारत का डंका, ऐतिहासिक जीत की 'सुनहरी दास्तां'

हिमा दास ट्रैक इवेंट में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड जीतने वाली पहली एथलीट हैं

असम के एक छोटे से गांव की इस लड़की के किसान पिता की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह उसके लिए स्पाइक्स जूते भी खरीद सकें। उनके पिता के पास सिर्फ दो बीघे जमीन थी और उससे उन्हें इस लड़की समेत अपने पांच बच्चों का गुजारा करना था। लेकिन इस लड़की ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी सुनहरी रेस से वह इतिहास लिख दिया जो आने वाली युवा पीढ़ी को भी प्रेरणा देता रहेगा।

एक छोटे से गांव से निकलकर पूरी दुनिया में भारत का परचम लहराने वाली इस लड़की का नाम है हिमा दिसा, जिन्होंने जुलाई 2018 में फिनलैंड में AIFF अंडर-20 की 400 मीटर रेस में 51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए गोल्ड जीतते हुए एक नया इतिहास लिख दिया। इसके साथ ही हिमा एथलेटिक्स ट्रैक इवेंट में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय बन गईं। 

गरीबी और हर मुश्किल को मात देते हुए पूरी दुनिया में बजाया भारत का डंका

असम के नौगांव जिले के कांधुलमारी गांव में 9 जनवरी 2000 को जन्मी हिमा दास के माता-पिता रोंजीत और जोनाली दास किसान हैं। उनके पिता की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपने दो बीघे जमीन के बल पर परिवार का भरण पोषण करने के बाद हिमा के लिए अच्छी ट्रेनिंग का इंतजाम भी कर पाते। शुरू में हिमा की रुचि फुटबॉल खेलने में थी और वह स्कूल में लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करती थीं। लेकिन भारत में महिला फुटबॉल का भविष्य न देख उन्होंने इसमें अपना करियर नहीं बनाया।

रेसिंग में हिमा की प्रतिभा सबसे पहले एक स्थानीय कोच निपोन दास ने पहचानी थी। निपोन ने ही उन्हें सबसे पहले एथलेटिक्स में हाथ आजमाने की सलाह दी थी। यही सलाह हिमा दास के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई। इसके बाद निपोन दास ने उन्हें बेहतर ट्रेनिंग के लिए उनके गांव से 140 किलोमीटर दूर  राजधानी गुवाहाटी जाने की सलाह दी। इसके बाद कोच निपोन की मदद से हिमा को गुवाहाटी के सरुसाजई स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में दाखिला मिल गया और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।  

हिमा दास का जन्म असम में 9 जनवरी 200 को हुआ था
हिमा दास का जन्म असम में 9 जनवरी 200 को हुआ था

हिमा ने एथलेटिक्स ट्रैक इवेंट में भारत को दिलाया पहला गोल्ड 

हिमा ने फिनलैंड में 13 जुलाई को हिमा दास ने AIFF अंडर-20 की 400 मीटर रेस के फाइनल में 51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए भारत को ट्रैक इवेंट इतिहास का पहला गोल्ड मेडल दिला दिया। 

हिमा इस रेस की शुरुआत के पहले 35 सेकेंड में टॉप-तीन में भी नहीं थी। लेकिन इसके बाद उन्होंने जोरदार वापसी की और सबको पीछे छोड़ते हुए भारत को एथलेटिक्स ट्रैक इवेंट का पहला गोल्ड दिलाते हुए नया इतिहास रच दिया। 

इसके बाद अगस्त 2018 में हिमा दास ने एशियन गेम्स में 400 मीटर रेस में 50.79 सेकेंड का समय निकालते हुए नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ सिल्वर मेडल जीता था। इसके बाद उन्होंने 4x400 मीटर महिला रिले का गोल्ड और 4x400 मिक्स्ड रिले रेस का सिल्वर मेडल भी अपने नाम किया। 

हिमा दास की कहानी देश की हर लड़की के लिए प्रेरणास्रोत है कि तमाम मुश्किलों के बावजूद हिम्मत न हारते हुए कामयाबी कैसे हासिल की जाती है!

English summary :
International Women's Day 2019 Special Story: Hma Das name of the girl who has flown away from a small village and in July 2018, took the time of 51.46 s in the AIFF Under-20 400 meters race in Finland and won gold.


Web Title: International Women's Day: Hima das first Indian athlete to win a gold medal in a track event at IAAF World U20 Championships

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