एशियाई खेलों में भारत ने दिखाया जलवा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 9, 2023 11:07 AM2023-10-09T11:07:06+5:302023-10-09T11:14:03+5:30
एशियन गेम्स में भारत ने पिछली बार से बेहतर परफॉर्म करते हुए 107 पदक अपने नाम किए हैं। इससे भारत को 2024 में ओलंपिक खेलों के लिए उम्मीद जग गई है कि खिलाड़ी उम्दा प्रदर्शन करेंगे।
भारतीय खिलाड़ियों ने इस बार चीन के हांगझोऊ में हुए एशियाई खेलों में अपनी क्षमता का शानदार प्रदर्शन कर नया कीर्तिमान रच दिया। इस बार देश को सौ से अधिक यानी 107 पदक जीतने में सफलता मिली है। इसके साथ ही साल 2024 में पेरिस में होने जा रहे ओलंपिक खेलों के लिए उम्मीद जाग गई। भारतीय खिलाड़ियों ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के साथ 28 स्वर्ण, 38 रजत और 41 कांस्य पदक जीते।
भारत ने पिछली बार इंडोनेशिया के जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में 70 पदक जीते थे, जिसमें 16 स्वर्ण, 23 रजत और 31 कांस्य थे। इस बार निशानेबाजी में 22 और एथलेटिक्स में 29 पदक मिले, जिससे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज हुआ। भारतीय दल ने कई पदक भी जीते, जिसमें महिला टेबल टेनिस टीम का कांस्य, पारूल चौधरी का महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ में स्वर्ण शामिल है।
भाला फेंक में ओलंपिक और विश्व चैम्पियन में नीरज चोपड़ा को स्वर्ण और किशोर जेना को रजत, नौकायन में अर्जुन सिंह एवं सुनील सिंह को कांस्य, बैडमिंटन के पुरुष युगल में सात्विक साईराज रंकीरेड्डी व चिराग शेट्टी को स्वर्ण, कबड्डी में पुरुष और महिला टीमों को स्वर्ण, तीरंदाजी में ओजस देवतले व अभिषेक वर्मा को मिक्सड पुरुष व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण-रजत के साथ पुरुष व महिला शतरंज टीमों के दो रजत पदक भारत को सूची में चौथे स्थान पर पहुंचाने में सफल रहे।
कुश्ती में भारतीय पहलवानों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, सिर्फ एक ही पहलवान फाइनल तक पहुंचा। मगर स्वर्ण पदक नहीं जीत सका, तो दूसरी ओर बजरंग पूनिया कांस्य भी झोली में नहीं डाल पाए। सभी खेलों के प्रदर्शन के बाद एक सवाल सभी के मन में उठता है कि भारत का खेल प्रदर्शन इतना कैसे सुधर गया?
क्रिकेट के अलावा भारत अन्य खेलों में भी अपनी क्षमता किस प्रकार दिखाने लगा। इन सवालों का सीधा जवाब है कि भारतीय खिलाड़ियों के पास क्षमता पहले से थी, लेकिन उन्हें खेल के अनेक अवसर तथा समय-समय पर गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण नहीं मिल पाता था, जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन अच्छा नहीं हो पाता था। अब भारत में ‘खेलो इंडिया’ जैसे अवसर हैं तो खिलाड़ियों को विश्व स्तर पर ट्रेनिंग मिलती है। इसी एशियाई खेलों के दल में अनेक खिलाड़ी विदेशों में रहकर नई-नई खेल तकनीकों को सीखकर आए हैं।
दूसरी ओर भारतीय खेल प्रशिक्षण संस्थानों को अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन की तैयारी के लिए आधुनिक साधनों से सुसज्जित किया गया है, जिसके परिणाम सामने हैं। इसीलिए यूं ही 100 पदकों का लक्ष्य देकर दल को भेजा नहीं गया था। उसके पीछे मेहनत और इच्छाशक्ति थी।
भारत के कोने-कोने से खिलाड़ियों को ढूंढ़ कर आगे लाया गया था और उन्हें एशियाई खेलों के लिए तैयार किया गया था। यही वजह है कि भारतीय दल पूरी तौर पर भारत का प्रतिनिधित्व करता दिख रहा था। उम्मीद है कि यही उत्साह और प्रदर्शन आगे भी बरकरार रहेगा। अगले साल होने वाले ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन पहले से अधिक बेहतर होगा।