भगत ने पैरालंपिक में ऐतिहासिक बैडमिंटन स्वर्ण पदक जीता, मनोज को कांसा
By भाषा | Published: September 4, 2021 06:15 PM2021-09-04T18:15:02+5:302021-09-04T18:15:02+5:30
मौजूदा विश्व चैम्पियन प्रमोद भगत ने शनिवार को यहां पुरूष एकल एसएल3 वर्ग में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता जबकि मनोज सरकार ने कांस्य पदक अपने नाम किया जिससे भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन कर तोक्यो पैरालंपिक खेलों में देश को पदक दिलाना जारी रखा। दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी भगत ने फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को हराया जबकि सरकार ने तीसरे स्थान के प्लेऑफ में जापान के दाइसुके फुजीहारा को मात दी। दोनों ही खिलाड़ियों ने सीधे गेम में जीत दर्ज की। एसएल3 वर्ग में उन खिलाड़ियों को हिस्सा लेने की अनुमति होती है जिनके पैर में विकार हो। बैडमिंटन इस साल पैरालंपिक खेलों में पदार्पण कर रहा है। दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी भगत इस तरह खेल में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गये। शीर्ष वरीय भारतीय और एशियाई चैम्पियन भगत ने योयोगी नेशनल स्टेडियम में 45 मिनट तक चले रोमांचक फाइनल में दूसरे वरीय बेथेल को 21-14 21-17 से मात दी। तोक्यो खेलों में भारत को चौथा स्वर्ण पदक दिलाने के बाद भगत ने कहा, ‘‘यह मेरे लिये बहुत विशेष है, मेरा सपना सच हो गया। बेथेल ने बहुत कोशिश की लेकिन मैं संयमित रहा और अपना बेहतर खेल दिखाया। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस पदक को अपने माता-पिता और हर उस व्यक्ति को समर्पित करना चाहूंगा जिसने मेरा समर्थन किया। मैं खुश हूं कि मैं भारत को गौरवान्वित कर सका। ’’ भगत ने अपने प्रतिद्वद्वी के बारे में कहा, ‘‘मैं दो साल पहले जापान में इन्हीं प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ खेला था और हार गया था। वो मेरे लिये सीखने का मौका था। आज मैं उसी स्टेडियम में हूं और वही माहौल है लेकिन मैंने जीतने की रणनीति निकाली। ’’ भुवनेश्वर का 33 साल का यह खिलाड़ी अभी मिश्रित युगल एसएल3-एसयू5 वर्ग में कांस्य पदक की दौड़ में बना हुआ है। भगत और उनकी जोड़ीदार पलक कोहली रविवार को कांस्य पदक के प्लेऑफ में जापान के दाईसुके फुजीहारा और अकिको सुगिनो की जोड़ी से भिड़ेंगे। एसएल3-एसयू5 वर्ग में भगत और पलक की जोड़ी को सेमीफाइनल में इंडोनेशिया की हैरी सुसांतो एवं लीएनी रात्रि आकतिला से 3 - 21, 15 - 21 से हार का सामना करा पड़ा। चार वर्ष की उम्र में पोलियो के कारण उनका बायां पैर विकृत हो गया था । उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में चार स्वर्ण समेत 45 अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं । बीडब्ल्यूएफ विश्व चैम्पियनशिप में पिछले आठ साल में उन्होंने दो स्वर्ण और एक रजत जीते । 2018 पैरा एशियाई खेलों में उन्होंने एक स्वर्ण और एक कांस्य जीता । वर्ष 2019 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार और बीजू पटनायक पुरस्कार से नवाजा गया। वहीं 31 वर्षीय सरकार जब एक साल के थे तो पोलियो से ग्रस्त हो गये थे। उन्होंने फुजीहारा के खिलाफ शानदार जज्बा दिखाते हुए 22-20 21-13 से जीत हासिल की। पुरूष एकल की एसएल3 वर्ग के सेमीफाइनल में वह ब्रिटेन के बेथेल से 8-21 10-21 से हार गये थे। लेकिन उन्होंने हार के बाद वापसी करते हुए कांसा अपने नाम किया। सरकार ने पांच साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू किया था लेकिन अपने बड़े भाईयों के खिलाफ जीत के बाद ही वह इस खेल के प्रति जुनूनी हुए जिसके बाद उन्होंने गंभीरता से खेलना शुरू किया। वह सक्षम खिलाड़ियों के खिलाफ अंतर स्कूल प्रतिस्पर्धा में खेले जिसके बाद उन्होंने 2011 में पैरा बैडमिंटन में खेलना शुरू किया। उन्होंने बीजिंग में 2016 एशियाई चैम्पियनशिप के एसएल3 एकल में स्वर्ण पदक जीता था। 2018 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार मिला। स्वर्ण पदक के मैच में भगत ने शुरू में बढ़त गंवा दी थी लेकिन जल्द ही वापसी करते हुए वह 8-6 से आगे हो गये। बेथेल अपने प्रतिद्वंद्वी की गलतियों का इंतजार कर रहे थे लेकिन ब्रेक तक भारतीय खिलाड़ी 11-8 से आगे था। फिर भगत ने 15-9 की बढ़त बना ली, हालांकि कुछ अंक भी गंवाये लेकिन छह गेम प्वाइंट जीत लिये। भगत ने आक्रामक रिटर्न से पहला गेम जीत लिया। दूसरे गेम में बेथेल ने 11-4 की बढ़त बना ली थी लेकिन भगत ने शानदार वापसी कर अगले सात में से छह अंक जुटाकर बेथेल की बढ़त कम की। वह 10-12 से पीछे थे लेकिन जल्द ही उन्होंने पासा पलट दिया और 16-15 से आगे हो लिये। विपक्षी खिलाड़ी की गलती से भगत की बढ़त 18-16 की हो गयी और लगातार आक्रामक स्मैश से उन्होंने तीन मैच प्वाइंट जुटाये। बेथेल की एक और गलती के साथ ही भगत ने रैकेट गिराकर अपने कोच गौरव खन्ना को गले लगाया और स्वर्ण का जश्न मनाया। भारत को अभी और पदक मिलने है जिसमें सुहास यथिराज एसएल4 और कृष्णा नागर एसएच6 क्लास के पुरूष एकल फाइनल में पहुंच चुके हैं। तरूण ढिल्लों को सेमीफाइनल में पराजय का सामना करना पड़ा जिससे वह कांस्य पदक की दौड़ में शामिल हैं। एसएल4 क्लास में सुहास ने इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान को 31 मिनट में 21 . 9, 21 . 15 से हराया । अब उनका सामना शीर्ष वरीयता प्राप्त फ्रांस के लुकास माजूर से होगा । कर्नाटक के 38 वर्ष के सुहास के टखनों में विकार है । कोर्ट के भीतर और बाहर कई उपलब्धियां हासिल कर चुके सुहास कम्प्यूटर इंजीनियर है और प्रशासनिक अधिकारी भी । वह 2020 से नोएडा के जिला मजिस्ट्रेट हैं और कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में मोर्चे से अगुवाई कर चुके हैं । उन्होंने 2017 में बीडब्ल्यूएफ तुर्की पैरा बैडमिंटन चैम्पियनशिप में पुरूष एकल और युगल स्वर्ण जीता । इसके अलावा 2016 एशिया चैम्पियनशिप में स्वर्ण और 2018 पैरा एशियाई खेलों में कांस्य पदक हासिल किया । दूसरी वरीयता प्राप्त नागर ने ब्रिटेन की क्रिस्टीन कूम्ब्स को एसएच6 क्लास सेमीफाइनल में 21 . 10, 21 . 11 से हराया । अब उनका सामना हांगकांग की चु मान केइ से होगा । बाईस वर्ष के नागर ने चार साल पहले ही खेलना शुरू किया । उन्होंने पैरा एशियाई खेलों में रजत और विश्व चैम्पियनशिप 2019 में एकल में कांस्य और युगल में रजत पदक जीता था । दूसरे एसएल4 सेमीफाइनल में माजूर ने दूसरी वरीयता प्राप्त भारतीय खिलाड़ी ढिल्लों को करीबी मुकाबले में 21 . 16, 16 . 21, 21 . 18 से हराया । हिसार के 27 वर्ष के ढिल्लों का सामना कांस्य पदक के लिये सेतियावान से होगा।
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