बेल्जियम ने तोड़ा भारत का स्वर्णिम सपना, कांसे की उम्मीद बरकरार

By भाषा | Updated: August 3, 2021 17:51 IST2021-08-03T17:51:56+5:302021-08-03T17:51:56+5:30

Belgium breaks India's golden dream, bronze hopes remain intact | बेल्जियम ने तोड़ा भारत का स्वर्णिम सपना, कांसे की उम्मीद बरकरार

बेल्जियम ने तोड़ा भारत का स्वर्णिम सपना, कांसे की उम्मीद बरकरार

तोक्यो, तीन अगस्त भारतीय पुरूष हॉकी टीम का 41 साल बाद ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने का सपना मंगलवार को यहां बेल्जियम के हाथों अंतिम चार में 2-5 से करारी हार के साथ टूट गया लेकिन तोक्यो खेलों में टीम अब भी कांस्य पदक की दौड़ में बनी हुई है जिसके लिये उसका सामना जर्मनी से होगा ।

भारतीय टीम एक समय बढ़त पर थी लेकिन अंतिम 11 मिनट में तीन गोल गंवाने और अलेक्सांद्र हैंड्रिक्स (19वें, 49वें और 53वें मिनट) की हैट्रिक उस पर भारी पड़ गयी। विश्व चैंपियन बेल्जियम की तरफ से हैंड्रिक्स के अलावा लोइक फैनी लयपर्ट (दूसरे) और जॉन जॉन डोहमेन (60वें मिनट) ने भी गोल किये।

भारत की तरफ से हरमनप्रीत सिंह ने सातवें और मनदीप सिंह ने आठवें मिनट में गोल किये थे।

बेल्जियम रियो ओलंपिक का रजत पदक विजेता है और उसने इस तरह से लगातार दूसरी बार ओलंपिक फाइनल में जगह बनायी है।

भारत के पास हालांकि अभी ओलंपिक पदक जीतने का मौका है जिसे गुरुवार को कांस्य पदक के लिए जर्मनी से भिड़ना है। जर्मनी को दूसरे सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1-3 से हार का सामना करना पड़ा।

भारत ने आखिरी बार मास्को ओलंपिक 1980 में फाइनल में जगह बनायी थी और तब टीम ने अपने आठ स्वर्ण पदकों में से आखिरी स्वर्ण पदक जीता था।

सेमीफाइनल में हार के लिये भारतीय टीम ही दोषी रही क्योंकि बेल्जियम ने चार गोल पेनल्टी कार्नर पर किये। विश्व चैंपियन टीम ने भारतीय रक्षापंक्ति पर लगातार दबाव बनाये रखा और 14 पेनल्टी कार्नर हासिल किये जिनमें से चार को उसने गोल में बदला।

बेल्जियम की शुरू से ही रणनीति स्पष्ट थी कि भारतीय सर्कल में घुसकर पेनल्टी कार्नर हासिल करना है क्योंकि उसके पास हैंड्रिक्स और लयपर्ट के रूप में दो पेनल्टी कार्नर विशेषज्ञ हैं। उन्होंने अपनी इस रणनीति पर अच्छी तरह से अमल किया तथा हैंड्रिक्स और लयपर्ट ने भी उन्हें निराश नहीं किया।

भारत ने भी पांच पेनल्टी कार्नर हासिल किये लेकिन इनमें से वह केवल एक पर ही गोल कर पाया।

भारतीय टीम 49 वर्ष बाद ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची थी। उसके पास अब भी कांस्य पदक जीतने का मौका है जिसके लिये वह गुरुवार को आस्ट्रेलिया या जर्मनी से भिड़ेगी।

भारत ने धीमी शुरुआत की जबकि बेल्जियम ने शुरू में ही मैच पर नियंत्रण बना दिया और इस बीच एक गोल भी दागा।

बेल्जियम अपने पहले आक्रमण पर ही पेनल्टी कार्नर हासिल करने में सफल रहा जिसे लयपर्ट ने ताकतवर फ्लिक से गोल में बदला।

भारतीयों ने हालांकि दमदार वापसी और दो मिनट के अंदर दो गोल करके मैच के समीकरण बदल दिये। भारत ने सातवें मिनट में दो पेनल्टी कार्नर हासिल किये जिनमें से दूसरे को हरमनप्रीत ने बड़ी खूबसूरती से गोल में बदला। यह उनका टूर्नामेंट में पांचवां गोल है।

अभी तक अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने के कारण दबाव झेल रहे मनदीप ने इसके एक मिनट बाद मैदानी गोल दागकर भारत को बढ़त दिला दी। मनदीप को अमित रोहिदास से दायें छोर से पास मिला और उन्होंने ताकतवर रिवर्स हिट से उसे गोल के हवाले कर दिया। बेल्जियम के गोलकीपर विन्सेंट वनास्च देखते ही रह गये।

भारत को पहले क्वार्टर में एक और मौका पेनल्टी कार्नर के रूप में मिला लेकिन विन्सेंट ने रूपिंदरपाल सिंह का शॉट रोक दिया।

एक गोल से पिछड़ने के बाद बेल्जियम ने दूसरे क्वार्टर में लगातार हमले किये और भारतीय रक्षापंक्ति को दबाव में रखा। भारत ने इस बीच चार पेनल्टी कार्नर गंवाये जिनमें से आखिरी को हैंड्रिक्स ने गोल में बदलकर स्कोर बराबर किया। इसके कुछ मिनट बाद श्रीजेश ने डोकियर का प्रयास नाकाम किया।

बेल्जियम ने जल्द ही मैच में अपना छठा पेनल्टी कार्नर हासिल किया लेकिन भारतीयों ने उसका बचाव कर दिया। मध्यांतर से ठीक पहले भारत को पेनल्टी कार्नर मिला लेकिन हरमनप्रीत का शॉट बाहर चला गया।

भारतीयों को 38वें मिनट में भी पेनल्टी कार्नर मिला था लेकिन वे इस पर भी गोल नहीं कर पाये थे। तीसरे क्वार्टर के बाद भी दोनों टीमें 2-2 से बराबरी पर थी लेकिन बेल्जियम चौथे क्वार्टर में पूरी तरह से बदली हुई टीम नजर आयी।

बेल्जियम ने आक्रामक तेवर अपनाये और 49वें मिनट में लगातार तीन पेनल्टी कार्नर हासिल किये। हैंड्रिक्स ने फिर से अपनी महारत दिखायी और अपनी टीम को 3-2 से आगे कर दिया।

इसके बाद तो बेल्जियम की टीम पूरी तरह से हावी हो गयी। भारतीय रक्षकों ने गलतियां की और लगातार तीन पेनल्टी कार्नर गंवाये। विश्व चैंपियन टीम को इसके बाद पेनल्टी स्ट्रोक मिला जिसे हैंड्रिक्स ने आसानी से गोल में बदलकर अपनी हैट्रिक पूरी की।

भारत ने दो गोल से पिछड़ने के बाद गोलकीपर श्रीजेश को हटा दिया लेकिन उसका यह फैसला गलत साबित हुआ क्योंकि डोहमेन ने खाली गोल में आसानी से अपनी टीम का पांचवां गोल दागा।

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