एशियन गेम्स: किसान के बेटे ने 16 की उम्र में किया कमाल, पहले ही एशियन गेम्स में जीता गोल्ड
By भाषा | Published: August 21, 2018 01:18 PM2018-08-21T13:18:23+5:302018-08-21T13:18:23+5:30
इंटरनेशनल लेवल पर डेब्यू कर रहे भारत के अभिषेक वर्मा ने 219.3 के स्कोर के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता। मेरठ के कलिना गांव में एक किसान के बेटे सौरभ चौधरी ने 240.7 का स्कोर किया। वहीं जापान के 42 साल के मत्सुदा ने 239.7 का स्कोर करके रजत पदक जीता।
पालेमबांग, 21 अगस्त: 16 साल के सौरभ चौधरी ने इंडोनेशिया में चल रहे 18वें एशियन गेम्स के 10 मीटर एयर पिस्टल में विश्व और ओलंपिक चैम्पियनों को पछाड़ते हुए गोल्ड मेडल जीतने के साथ ही एशियाई खेलों के इतिहास में स्वर्ण जीतने वाले भारत के पांचवें निशानेबाज बन गए। पहली बार सीनियर स्तर पर खेल रहे सौरभ चौधरी ने बेहद परिपक्वता और संयम का परिचय देते हुए 2010 के विश्व चैंपियन तोमोयुकी मत्सुदा को 24 शॉट के फाइनल में हराया।
इंटरनेशनल लेवल पर डेब्यू कर रहे भारत के अभिषेक वर्मा ने 219.3 के स्कोर के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता। मेरठ के कलिना गांव में एक किसान के बेटे सौरभ चौधरी ने 240.7 का स्कोर किया। वहीं जापान के 42 साल के मत्सुदा ने 239.7 का स्कोर करके रजत पदक जीता। उन्होंने 23वें शॉट पर 8.9 स्कोर किया, जबकि चौधरी ने खेलों का रिकॉर्ड बनाते हुए आखिरी दो शॉट में 10.2 और 10.4 स्कोर किया।
चौधरी ने कुछ महीने पहले जर्मनी में जूनियर विश्व कप में रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता था। एशियाई खेलों में उनसे पहले जसपाल राणा, रणधीर सिंह, जीतू राय और रंजन सोढी स्वर्ण जीत चुके हैं। तीन साल पहले निशानेबाजी में उतरे चौधरी ने कहा ,‘‘ मुझे कोई दबाव महसूस नहीं हुआ ।’’
क्वालिफिकेशन में भी उन्हें दबाव महसूस नहीं हुआ था और उन्होंने 586 स्कोर किया था । ओलंपिक और विश्व चैम्पियन कोरिया के जिन जिंगोह दूसरे और वर्मा छठे स्थान पर रहे थे । 11वीं के छात्र चौधरी ने बागपत के पास बेनोली में अमित शेरोन अकादमी में निशानेबाजी के गुर सीखे ।
घर पर वह अपने पिता की खेती बाड़ी में मदद करते हें। उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे खेती पसंद है । हमें अभ्यास से ज्यादा छुट्टी नहीं मिलती लेकिन जब भी मैं गांव जाता हूं तो अपने पिता की मदद करता हूं ।’’ रोहतक के वर्मा ने भी तीन साल पहले ही निशानेबाजी शुरू की। उन्होंने कहा ,‘‘ शुरूआत में मैं नर्वस था लेकिन फिर संयम रखकर खेला । यह मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट है और पदक जीतकर अच्छा लग रहा है।’’
पांचवीं सीरिज में उन्होंने 10 . 7 का स्कोर करके खुद को पदक की दौड़ में बनाये रखा । इससे पहले वह मनु भाकर के साथ मिश्रित टीम स्पर्धा में फाइनल के लिये क्वालीफाई नहीं कर सके थे। उन्होंने कहा ,‘‘मनु और मैं मिश्रित टीम फाइनल के लिये क्वालीफाई नहीं कर सके थे लेकिन हम निराश नहीं थे। हमने उससे काफी कुछ सीखा ।