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कोरोना की चुनौतियों के बीच खेलों के महासमर में भारतीय खिलाड़ी रच सकते है इतिहास

By भाषा | Updated: July 22, 2021 12:53 IST

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तोक्यो , 22 जुलाई कोरोना महामारी के बीच हो रहे ओलंपिक में उल्लास ,उमंग और दर्शकों की जगह आशंकाओं और तनाव ने भले ही ले लीं हो लेकिन ‘आशा की किरण’ माने जा रहे खेलों के इस महासमर में भारतीय दल सफलता का नया इतिहास रच सकता है जबकि नजरें कुश्ती, निशानेबाजी, मुक्केबाजी में पदकों पर लगी होंगी ।

कोरोना महामारी के कारण एक साल देर से हो रहे खेलों की शुरुआत के समय भी दुनिया पर से इस जानलेवा वायरस का साया हटा नहीं है । दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले शहरों में से एक तोक्यो हजारों खिलाड़ियों, सहयोगी स्टाफ और अधिकारियों की मेजबानी कर रहा है जबकि यहां प्रतिदिन एक हजार से अधिक कोरोना मामले सामने आ रहे हैं ।

इनमें से मामूली ही खेलों से संबंधित हैं लेकिन प्रतिभागियों के मन में भय पैदा करने के लिये ये काफी हैं ।

अजीब से माहौल में हो रहे इन खेलों में ना तो दर्शक हैं और ना ही वह उत्साह जो ओलंपिक की भावना का परिचायक है । अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति पूरी कोशिश कर रही है कि इन खेलों को उम्मीद के रूप में देखते हुए सिर्फ सकारात्मक पहलू पर ही फोकस किया जाये ।

आईओसी अध्यक्ष थॉमस बाक ने बुधवार की रात कहा था ,‘‘ यह संकट से निपटने और उसका सामना करने का एक नुस्खा है । खेलों के बाद उम्मीद का यह संदेश आत्मविश्वास के पैगाम में बदल जायेगा ।’’

शुक्रवार को उद्घाटन समारोह के साथ आठ अगस्त तक चलने वाले खेलों के इस महाकुंभ का आरंभ हो जायेगा । बाक को यकीन है कि यह हर्ष और खासकर राहत का अवसर होगा ।

 भारत की बात करें तो एक अरब 30 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश के नाम ओलंपिक के महज 28 पदक है । भारत ने 1900 में पहली बार ओलंपिक में भाग लिया और अब तक व्यक्तिगत वर्ग में सिर्फ अभिनव बिंद्रा पीला तमगा हासिल कर सके हैं जो उन्होंने 2008 बीजिंग ओलंपिक में सटीक निशाना लगाकर जीता था ।

इस बार भारत ने 120 खिलाड़ी भेजे हैं जिनमें 68 पुरूष और 52 महिलायें हैं । पहली बार दोहरे अंक में पदक जीतने की उम्मीदें भारतीय दल से बंधी है । इनमें सबसे प्रबल दावेदार 15 निशानेबाज होंगे जो पिछले दो वर्ष में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सफलता अर्जित कर चुके हैं ।

उन्नीस वर्ष की मनु भाकर, 20 वर्ष की इलावेनिल वालारिवान, 18 वर्ष के दिव्यांश सिंह पंवार और 20 वर्ष के ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर भारत की पदक उम्मीदों में से हैं ।

एक तरफ तो भारत का बड़ा निशानेबाजी दल है तो दूसरी ओर अकेली योद्धा के रूप में उतरेंगी दो वीरांगनायें । भारोत्तोलन में 49 किलो में मीराबाई चानू तो तलवारबाजी में क्वालीफाई करके इतिहास रचने वाली सी ए भवानी देवी ।

चानू 2016 रियो ओलंपिक में एक भी वैध लिफ्ट नहीं कर सकी थी ।उसके बाद से उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप 2017, राष्ट्रमंडल खेल 2018 में स्वर्ण जीता और उनके नाम क्लीन एंड जर्क का विश्व रिकॉर्ड भी है । वहीं भवानी ने तलवारबाजी जैसे खेल में ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करके सभी को चौंका दिया ।

दुनिया की नंबर एक तीरंदाज दीपिका कुमारी की अगुवाई में तीरंदाजी दल से भी उम्मीदे हैं । दीपिका पूरी कोशिश में हैं कि लंदन ओलंपिक की कड़वी यादों को वह अच्छे प्रदर्शन से भुला दे जहां दुनिया की नंबर एक तीरंदाज के रूप में उतर कर भी वह बुरी तरह नाकाम रही थी । अपने पति अतनु दास के साथ वह मिश्रित टीम वर्ग में भी पदक की दावेदार है ।

मुक्केबाजी में अमित पंघाल (52 किलो), छह बार की विश्व चैम्पियन एम सी मैरीकॉम (51 किलो) और एशियाई खेलों के पूर्व चैम्पियन विकास कृष्ण (69 किलो) से उम्मीदें होंगी । वहीं आठ पहलवानों में से बजरंग पूनिया (65 किलो) और विनेश फोगाट (53 किलो) से उम्मीदें प्रबल है जो पिछले तीन साल से शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं ।

दीपक पूनिया (86 किलो) छिपे रुस्तम साबित हो सकते हैं जिन्होंने 2019 विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था ।

पिछले चार दशक से ओलंपिक पदक का इंतजार कर रही भारतीय हॉकी को महिला और पुरूष दोनों टीमों से आस है ।भारत ने आठवां और आखिरी ओलंपिक स्वर्ण 1980 में जीता था और इतने साल में पहली बार इस टीम ने वास्तविक उम्मीदें जगाई हैं ।

टेबल टेनिस में अचंत शरत कमल और मनिका बत्रा कमाल कर सकते हैं ।  एथलेटिक्स में नीरज चोपड़ा या तेजिंदर सिंह तूर ओलंपिक में मामूली अंतर से पदक चुकने का पीटी उषा या दिवंगत मिल्खा सिंह का मलाल दूर कर सकते हैं ।

बैडमिंटन में विश्व चैम्पियन पी वी सिंधू दूसरा ओलंपिक पदक जीतने की प्रबल दावेदार हैं । रियो के रजत के बाद उनकी नजरें तोक्यो में स्वर्ण पर है ।अनुभवी टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा चौथी बार ओलंपिक खेल रही है और वह युगल में अंकिता रैना के साथ उतरेंगी ।

घुड़सवारी में पहली बार फौवाद मिर्जा भारत के लिये ओलंपिक में खेलेंगे । तैराकी में भी भारत के साजन प्रकाश और श्रीहरि नटराज ओलंपिक ए क्वालीफिकेशन मार्क हासिल करके पहली बार जगह बनाने में कामयाब रहे ।

पूरे देश की उम्मीदें इन खिलाड़ियों पर टिकी है कि मैदान पर इनकी कामयाबी  कोरोना महामारी से पैदा हुई हताशा, आशंका और परेशानियों को भुलाने का सबब बन सकेगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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