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#KuchhPositiveKarteHain: समाज के लिए समर्पित रिनी ने सेवा को ही बनाया अपना जीवनसाथी

By मेघना वर्मा | Updated: July 20, 2018 07:31 IST

रिनी ने जब लोगों की मदद का सिलसिला शुरू किया तो कांरवां बनता गया। रिनी ने 2002 में सहायता मित्र मंडली की शुरूआत की।

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नहीं मैं कोई बहुत बड़ा काम नहीं कर रही जैसे जितना हो जाता है उतना करने की कोशिश करती हूं। कुछ यही लाइनें थीं रिनी यीशू की जब हमने उनसे उनके काम और समाज सेवा में लगे रहने के बारे में पूछा। आजादी पर लोकमत द्वारा शुरू किए गए 71 साल 71 कहानियों के बीच आज हम जिस शख्सियत की बात करने जा रहे हैं वह हैं इलाहाबाद की रिनी। छोटे बाल, जींस और शर्ट पहने रिनी का मानना है कि अगर इंसान चाहे तो अपनी लाइफ से बस थोड़ा सा समय निकालकर समाज की सेवा कर सकता है। क्या है इनकी पूरी कहानी पढ़िए सिर्फ लोकमत पर। 

16 साल से कर रही हैं समाज की सेवा

इलाहाबाद की रहने वाली रिनी यीशू खुद को समाज के प्रति हमेशा समर्पित रखना चाहती हैं। लोकमत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि वैसे तो बचपन से ही किसी ना किसी तरह वह समाज के गरीब और जरूरत मंद वर्गों की रक्षा करती आई हैं। मगर 2002 से लगातार इस काम में जुड़ी हुई हैं।

रिनी बताती है कि किसी काम के लिए एक बार वह चाइल्ड लाइन गई थीं उस समय वहां के माहौल और बच्चों को देखकर वह इतनी इमोशनल हो गईं कि उन्होंने ठान ली कि बस कुछ ऐसे करना है जिससे समाज का ये हिस्सा भी अपना बराबरी का हक लड़ सके। इसके बाद रिनी ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। चाइल्ड लाइन के बच्चों को शिक्षा देना हो या गरीब लोगों को न्याय दिलाना रिनी किसी भी चीज में पीछे नहीं हटती।

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साहायता मित्र मंडली की हुई शुरूआत

रिनी ने जब लोगों की मदद का सिलसिला शुरू किया तो कांरवां बनता गया। रिनी ने 2002 में सहायता मित्र मंडली की शुरूआत की। जिसमें वह सभी लोग निशुल्क मेम्बर बन सकते थे जो समाज के किसी नी किसी रूप से सहायता करना चाहते हैं। आज सिर्फ इलाहाबद जिले ही नहीं बल्कि आस-पास के इलाकों से मिलाकर कुल 1500 लोग इस मित्र मंडली के सदस्य बन चुके हैं। 2005 से 2008 तक चाइल्ड लाइन की सुपरवाइजर रही रिनी आज इलाहाबाद की जानी-मानी समाज सेविका कही जाती हैं। 

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अमीरों से थोड़ा सा लेकर गरीबों को करती हैं दान

रिनी ने लोकमत को बताया कि वह किसी सरकारी फंड या पैसे से काम नहीं करती। बस जितना उनकी हैसियत में रहता है वह उस तरीके से लोगों की सहायता कर देती हैं। रिनी ने लोकमत को बताया कि वह अपने 1500 सदस्यों के साथ मिलकर काम करती हैं। वह सामान के रूप में अमीरों से लेती हैं और गरीबों में दान करती हैं। मसलन के तौर पर ठंड के दिनों में वह गरीबों के लिए, सड़क किनारे रहने वाले लोंगों के लिए शहरभर से ऊनी कपड़ें दान में लेती हैं और गरीबों और जरूरत मंदों को दान करती हैं। 

समाज की सेवा के लिए नहीं की शादी

16 साल से समाज की सेवा कर रही रिनी 40 साल की हो चुकी हैं। मगर उन्होंने शादी के बजाय समाज को चुना है। यही कारण है कि घर से शादी का दबाव होने के बाद भी रिनी ने अभी तक शादी नहीं की है। रिनी ने बताया कि ऐसा नहीं है कि उनके ऊपर कभी शादी का प्रेशर नहीं रहा। चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण उनके घरवालों ने शादी के लिए उनपर काफी दबाव डाला। मगर रिनी ने खुद को समाज की सेवा में लगे रहने ज्यादा जरूर समझा। वह कहती हैं कि परिवार के बंधन में बंध कर समाज के लिए समय नहीं निकाल पाएंगी इसलिए वह शादी नहीं कर रही हैं। 

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